Published By:धर्म पुराण डेस्क

वास्तु अनुसार: रसोई की व्यवस्था कैसे करें?

Vastu Sandesh-

आज के आधुनिक समय में हर कोई चाहता है कि उसकी रसोई, जहाँ पर महिला/पुरुष का परिवारजन के लिए स्वादिष्ट भोजन बनाने में काफी समय व्यतीत होता है, मनोहारी, सुंदर, व्यवस्थित तथा शांतिपूर्ण व दोष रहित हो। 

1. अगर किसी महिला/पुरुष को रसोई में काम करते समय मानसिक तनाव महसूस होता हो या अग्निकांड (चाहे छोटे-मोटे) होते रहते हों, या बहुत थकान होने लगती हो तो, ऐसे में घर की कुंडली के तीसरे भाव को खराब मानना चाहिए क्योंकि किसी भी घर में अग्नि का सम्बन्ध रसोई विशेष से ही होता है। इसको सुधारने के लिए साबुत धनिया, अग्नि क्षेत्र में हरे रंग के कपड़े में बांधकर लटका देना चाहिए। इससे तीसरे घर (अग्निकोण, मानसिक तनाव) की समस्या से मुक्त हो जाता है।

2. हमेशा रसोई बनाते समय ध्यान रखें कि रसोई हमेशा अग्निकोण में हो। जिसमें चूल्हे की व्यवस्था पूरब की दीवार पर हो और अगर पूरब में मुश्किल हो तो दक्षिण की दीवार पर हो। साथ ही पानी का सिंक उत्तरी दीवार पर या उत्तर - पूर्व के स्थान पर होना चाहिए।

3. फ्रिज को रसोई के दक्षिणी पश्चिम भाग में, लेकिन खिड़की के पास लगाना चाहिए। 

4. माइक्रोवेव, मिक्सर, ग्राइंडर या अन्य अग्नि प्रधान सामान दक्षिणी दीवार पर लगाना लाभकारी सिद्ध होता है।

5. रसोई के बाहर, पायदान जरूर होना चाहिए। साथ ही जिन महिलाओं को रसोई में थकान महसूस होती हो, उन्हें तो स्लैब के नीचे जहाँ खड़े होकर वे खाना बनाती हैं, एक लकड़ी का पटरा डालकर खाना बनाना चाहिए, इससे उनके शरीर में ऊर्जा बनी रहेगी व थकान नहीं होगी। 

6. आजकल आमतौर पर मैंने यह देखा है। कि परिवारजन, जो चप्पल पहनकर लैट्रिन में जाते हैं या बाहर से आते हैं। उन्हीं चप्पलों से वे रसोई में भी प्रवेश करते रहते हैं, ऐसे में रसोई में जीवाणु/कीटाणु उत्पन्न हो जाते हैं जो भोजन के स्वाद का तो ह्रास करते ही हैं, साथ ही भोजन बनाने वाली महिला को थकान भी महसूस होने लगती है। इसको सुधारने के लिए व्यक्ति को घर में चमड़े की चप्पल या लकड़ी की बनी खड़ाऊ का प्रयोग करना लाभकारी होता है तथा कभी कभी पोंछा लगाते समय नमक का प्रयोग करना चाहिए। बैक्टीरिया समाप्त हो जाते हैं। तथा ऊर्जा का संचार होता है। रसोई में बैठकर भोजन करने से राहु, केतु व बुध शांत रहते हैं।

Parul Gupta


 

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