Published By:धर्म पुराण डेस्क

करवा चौथ पूजन के शुभ मुहूर्त, सामग्री सूची, पूजा विधि, चांद निकलने का समय

प्रतिवर्ष कार्तिक कृष्ण चतुर्थी के दिन सुहागिन महिलाएं करवा चौथ व्रत रखती है। इस वर्ष करवा चौथ 2022 व्रत 13 अक्टूबर को रखा जाएगा। यह सौभाग्यवती स्त्रियों का सुन्दर सुहाग पर्व है। इस व्रत में सास अपनी बहू को सरगी देती है। इस सरगी को लेकर बहुएं अपने व्रत की शुरुआत करती हैं। 

यह व्रत सूर्योदय से पहले शुरू होता है जिसे चांद निकलने तक रखा जाता है। सुहागन स्त्रियों इस दिन निर्जला व्रत रखकर, रात में चांद देखने के बाद अपना व्रत खोलती है। पति की दीर्घायु, यश-कीर्ति और सौभाग्य में वृद्धि के लिए इस व्रत को विशेष फलदायी माना गया है।

हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में चतुर्थी तिथि के दिन करवा चौथ पर्व मनाया जाता है। करवा चौथ का व्रत सुहागन स्त्रियों के लिए बहुत खास होता है। मान्यतानुसार इस दिन अगर सुहागिन महिलाएं व्रत-उपवास रखें तो उनके पति की आयु लंबी होती है और गृहस्थ जीवन सुखी रहता है। चांद निकलने के बाद महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं और अपने पति के हाथ से पानी पीकर व्रत को संपन्न करती हैं। इस व्रत में सायंकाल के समय शुभ मुहूर्त में चांद निकलने से पहले पूरे शिव परिवार की पूजा की जाती है।

करवा चौथ पूजन सामग्री की सूची-

1. चंदन,

2. शहद,

3. अगरबत्ती,

4. पुष्प,

5. कच्चा दूध,

6. शकर,

7. शुद्ध घी,

8. दही,

9. मिठाई,

10. गंगाजल,

11. कुंकुम,

12. अक्षत (चावल),

13. सिंदूर,

14. मेहंदी,

15. महावर,

16. कंघा,

17. बिंदी,

18. चुनरी,

19. चूड़ी,

20. बिछुआ,

21. मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्कन,

22. दीपक,

23. रुई,

24. कपूर,

25. गेहूं,

26. शकर का बूरा,

27. हल्दी,

28. पानी का लोटा,

29. गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी,

30. लकड़ी का आसन,

31. चलनी,

32. आठ पूरियों की अठावरी,

33. हलुआ,

34. दक्षिणा के लिए पैसे,

पूजा विधि-

* सुबह सूर्योदय से पहले उठ जाएं। सरगी के रूप में मिला हुआ भोजन करें पानी पीएं और भगवान की पूजा करके निर्जला व्रत का संकल्प लें।

* करवा चौथ में महिलाएं पूरे दिन जल-अन्न कुछ ग्रहण नहीं करतीं फिर शाम के समय चांद को देखने के बाद दर्शन कर व्रत खोलती हैं।

* पूजा के लिए शाम के समय एक मिट्टी की वेदी पर सभी देवताओं की स्थापना कर इसमें करवे रखें।

* एक थाली में धूप, दीप, चंदन, रोली, सिन्दूर रखें और घी का दीपक जलाएं।

* पूजा चांद निकलने के एक घंटे पहले शुरू कर देनी चाहिए। इस दिन महिलाएं एक साथ मिलकर पूजा करती हैं।

* पूजन के समय करवा चौथ कथा जरूर सुने या सुनाएं।

* चांद को छलनी से देखने के बाद अर्घ्य देकर चंद्रमा की पूजा करनी चाहिए।

* चांद को देखने के बाद पति के हाथ से जल पीकर व्रत खोलना चाहिए।

* इस दिन बहुएं अपनी सास को थाली में मिठाई, फल, मेवे, रुपए आदि देकर उनसे सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद लेती हैं।

चंद्रमा को अर्घ्य देने का मंत्र---

करकं क्षीरसंपूर्णा तोयपूर्णमयापि वा। ददामि रत्नसंयुक्तं चिरंजीवतु मे पतिः॥

इति मन्त्रेण करकान्प्रदद्याद्विजसत्तमे। सुवासिनीभ्यो दद्याच्च आदद्यात्ताभ्य एववा।।

एवं व्रतंया कुरूते नारी सौभाग्य काम्यया। सौभाग्यं पुत्रपौत्रादि लभते सुस्थिरां श्रियम्।।

करवा चौथ पूजा के 20 जरूरी नियम, आपको पता होना चाहिए..

1. यह व्रत सूर्योदय से पहले से प्रारंभ हो जाता है। उसके पूर्व कुछ भी खा-पी सकते हैं। उसके बाद जब तक रात्रि में चंद्रोदय नहीं हो जाता तब तक जल भी ग्रहण नहीं करते हैं। यदि कोई स्वास्थ्य समस्या है तो जल पी सकते हैं।

2. चन्द्र दर्शन के पश्चात ही इस व्रत का विधि विधान से पारण करना चाहिए।

3. शास्त्र अनुसार केवल सुहागिनें या जिनका रिश्ता तय हो गया हो वही स्त्रियां ये व्रत रख सकती हैं।

4. पत्नी के अस्वस्थ होने की स्थिति में पति ये व्रत रख सकते हैं।

5. करवा चौथ की पूजा में करवा माता के अतिरिक्त भगवान शिव, गणेश, माता पार्वती और कार्तिकेय सहित नंदी जी की भी पूजा की जाती है।

6. संध्या के समय चंद्रोदय से लगभग एक घंटा पूर्व शिव-परिवार (शिव जी, पार्वती जी, गणेश जी और कार्तिकेय जी सहित नंदी जी) की पूजा की जाती है। इसके अलावा चंद्रदेव की पूजा करना भी जरूरी है।

7. पूजन के समय देव-प्रतिमा का मुख पश्चिम की ओर होना चाहिए तथा महिला को पूर्व की ओर मुख करके बैठना चाहिए।

8. इस व्रत के दौरान महिलाओं को लाल या पीले वस्त्र ही पहनना चाहिए।

9. इस दिन पूर्ण श्रृंगार करना चाहिए। महिलाएं 16 श्रृंगार करती हैं।

10. इस दिन पारण के समय अच्छा भोजन करना चाहिए।

11. व्रत वाले दिन कथा सुनना बेहद जरूरी माना गया है। ऐसी मान्यता है कि करवा चौथ की कथा सुनने से विवाहित महिलाओं का सुहाग बना रहता है, उनके घर में सुख, शांति, समृद्धि आती है और सन्तान सुख मिलता है।

12. करवा चौथ व्रत की कथा सुनते समय साबुत अनाज और मीठा साथ में अवश्य रखें।

13. इस दिन कहानी सुनने के बाद बहुओं को अपनी सास को बायना देना चाहिये।

14. चंद्रमा का उदय होने के बाद सबसे पहले महिलाएं छलनी में से चंद्रमा को देखती हैं फिर अपने पति को, इसके बाद पति अपनी पत्नियों को लोटे में से जल पिलाकर उनका व्रत पूरा करवाते हैं।

15. कुंवारी महिलाएं चंद्र की जगह तारों को देखती हैं।

16. जब चंद्रदेव निकल आएं तो उन्हें देखने के बाद अर्घ्य दें।

17. इस व्रत में कहीं सरगी खाने का रिवाज है, तो कहीं नहीं है। इसलिए अपने परंपरा के अनुसार ही व्रत रखना चाहिए। सरगी व्रत के शुरू में सुबह दी जाती है। एक तरह से यह आपको व्रत के लिए दिनभर ऊर्जा देती है।

18. इस व्रत में मिट्टी के करवे लिए जाते हैं और उनसे पूजा की जाती है।

19. इस व्रत में किसी भी प्रकार का क्रोध करना, गृह क्लेश करना मना है।

20. इस दिन काले रंग के वस्त्र नहीं पहने चाहिए।

21. इस दिन सफेद रंग की वस्तुओं का दान न करें।


 

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