Published By:धर्म पुराण डेस्क

आत्म ज्योति जगाओ

दीपावली अर्थात् अमावस्या के गहन अंधकार में भी प्रकाश फैलाने का पर्व | यह महापर्व यही प्रेरणा देता है कि अज्ञान रूपी अंधकार में भटकने के बजाय अपने जीवन में ज्ञान का प्रकाश ले आओ...

पर्वों के पुंज इस दीपावली के पर्व पर घर में और घर के बाहर तो दीपमालाओं का प्रकाश अवश्य करो, साथ-ही-साथ अपने हृदय में भी ज्ञान का आलोक कर दो। अंधकारमय जीवन व्यतीत मत करो वरन् उजाले में जियो, प्रकाश में जियो। जो प्रकाशों का - प्रकाश है, उस दिव्य प्रकाश का, परमात्म प्रकाश का चिंतन करो।

सूर्य, चंद्र, अग्नि, दीपक आदि सब प्रकाश हैं। इन प्रकाशों को देखने के लिए नेत्र ज्योति की जरूरत है और नेत्र ज्योति ठीक से देखती है कि नहीं, इसको देखने के लिए मनः ज्योति की जरूरत है। मन ज्योति यानी मन ठीक है कि बेठीक, इसे देखने के लिए बुद्धि का प्रकाश चाहिए और बुद्धि के निर्णय सही है कि गलत, इसे देखने के लिए जरूरत है आत्म ज्योति की।

इस आत्म ज्योति से अन्य सब ज्योतियों को देखा जा सकता है, किंतु ये सब ज्योतियाँ मिलकर भी आत्म ज्योति को नहीं देख पाती। धनभागी हैं वे लोग, जो इस आत्म ज्योति को पाए हुए संतों के द्वार पहुँच कर अपनी आत्म ज्योति जगाते हैं।

ज्योति के इस शुभ पर्व पर हम सब शुभ संकल्प करें कि 'संतों से, सद्गुरु से प्राप्त मार्गदर्शन के अनुसार जीवन जीकर हम भी भीतर के प्रकाश को जगायेंगे... अज्ञान अंधकार को मिटाकर ज्ञानालोक फैलायेंगे | दुःख आयेगा तो दुःख के साथ नहीं जुड़ेंगे। सुख आयेगा तो सुख में नहीं बहेंगे | चिंता आयेगी तो उस चिंता में चकनाचूर नहीं होंगे। भय आयेगा तो भयभीत नहीं होंगे वरन् निर्दुःख, निश्चित, निर्भय और परम आनंद स्वरूप उस आत्म ज्योति से अपने जीवन को भी आनंद से सराबोर कर देंगे। हरि ॐ... ॐ... ॐ... 

धर्म जगत

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