Published By:धर्म पुराण डेस्क

शुक्र(वीनस) का रथ एवं गति ..

श्री गरुड़ पुराण के अनुसार शुक्र(वीनस) का रथ सैन्य बल से युक्त, अनुकर्ष, ऊँचे शिखर वाला, तरकश व ऊँची पताका से युक्त है |

वैज्ञानिक परिचय—

शुक्र(वीनस) पृथ्वी का निकटतम ग्रह(प्लेनेट), सूर्य से दूसरा और सौरमंडल का छठवाँ सबसे बड़ा ग्रह(प्लेनेट) है। शुक्र(वीनस) पर कोई चुम्बकीय क्षेत्र नहीं है।

इसका कोई उपग्रह(प्लेनेट) भी नहीं है | यह आकाश में सबसे चमकीला पिंड है जिसे नंगी आँखों से भी देखा जा सकता है | शुक्र(वीनस) भी बुध की तरह एक आंतरिक ग्रह(प्लेनेट) है, यह भी चन्द्रमा की तरह कलाएं प्रदर्शित करता है। 

यह सूर्य की परिक्रमा 224 दिन में करता है और सूर्य से इसका परिक्रमा पथ 108200000 किलोमीटर लंबा है। शुक्र(वीनस) ग्रह(प्लेनेट) व्यास 121036 किलोमीटर और इसकी कक्षा लगभग वृत्ताकार है। 

यह अन्य ग्रह(प्लेनेट) के विपरीत दक्षिणावर्त (Anticlockwise) चक्रण करता है। ग्रीक मिथकों के अनुसार शुक्र(वीनस) ग्रह(प्लेनेट) प्रेम और सुंदरता की देवी है। 

1962 में शुक्र(वीनस) ग्रह(प्लेनेट) की यात्रा करने वाला पहला अंतरिक्ष यान मैरीनर 2 था। उसके बाद 20 से ज़्यादा शुक्र(वीनस) ग्रह(प्लेनेट) की यात्रा पर जा चुके हैं; जिसमे पायोनियर, वीनस और सोवियत यान वेनेरा 7 है जो कि किसी दूसरे ग्रह(प्लेनेट) पर उतरने वाला पहला यान था।


 

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