छठ पूजा हिंदू धर्म का खास पर्व है. वैसे तो छठ पर्व साल में दो बार चैत्र और कार्तिक मास में मनाया जाता है. लेकिन कार्तिक मास में पड़ने वाला छठ अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है. इस साल छठ पर्व की शुरुआत 17 नवंबर को नहाय-खाय के साथ हो रही है.
छठ महापर्व पूरे चार दिनों तक मनाया जाता है और व्रती 36 घंटे का कठिन निर्जला व्रत रखती है. बता दें कि 17 नवंबर को छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय के साथ होगी, 18 नवंबर को खरना पर्व है, 19 नवंबर को संध्या अर्घ्य दिया जाएगा और 20 नवंबर ऊषा अर्घ्य के साथ चार दिवसीय छठ पर्व का समापन हो जाएगा.
नहाय खाय का महत्व
नहाय खाय जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट होता है - स्नान करके भोजन करना. इस दिन नहाय खाय के दिन व्रत करने वाली महिलाएं नदी या तालाब में स्नान करती हैं. इसके बाद कच्चे चावल का भात, चना दाल और कद्दू या लौकी का प्रसाद बनाकर उसे ग्रहण करती हैं.
माना जाता है कि नहाय खाय का यह भोजन साधक में सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ता है. साथ ही यह भी माना जाता है कि इस दिन व्रत करने वाले साधक इस सात्विक द्वारा खुद को पवित्र कर छठ पूजा के लिए तैयार होते हैं.
नहाय खाय के नियम
नहाय खाय के दिन साफ-सफाई का विशेष महत्व होता है. इस दौरान कई नियमों का भी ध्यान रखा जाना जरूरी है. ऐसे में इस दिन प्रसाद का भोजन बनाते समय स्वच्छा का विशेष ध्यान रखना चाहिए. भोजन बनाने से पूर्व स्नान कर लें और हाथों की स्वच्छा का ध्यान रखें. भूलकर भी किसी जूठी चीज जैसे बर्तन का इस्तेमाल न करें. साथ ही इस दिन व्रती के साथ-साथ परिवार के अन्य सदस्यों को भी सात्विक भोजन ही करना चाहिए.
छठ पूजा हिंदू धर्म का खास पर्व है. वैसे तो छठ पर्व साल में दो बार चैत्र और कार्तिक मास में मनाया जाता है. लेकिन कार्तिक मास में पड़ने वाला छठ अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है. इस साल छठ पर्व की शुरुआत 17 नवंबर को नहाय-खाय के साथ हो रही है.
छठ महापर्व पूरे चार दिनों तक मनाया जाता है और व्रती 36 घंटे का कठिन निर्जला व्रत रखती है. बता दें कि 17 नवंबर को छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय के साथ होगी, 18 नवंबर को खरना पर्व है, 19 नवंबर को संध्या अर्घ्य दिया जाएगा और 20 नवंबर ऊषा अर्घ्य के साथ चार दिवसीय छठ पर्व का समापन हो जाएगा.
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