-सुदेश गौड़
ज्यादातर हिंदू त्योहारों पर यह संशय रहता है कि त्यौहार कब मनाया जाए। अभी कुछ ही दिन पहले ही रक्षाबंधन पर्व पर यही उलझन हुई थी। अब यही उलझन हो रही है जन्माष्टमी पर।
इतना ही नहीं अंग्रेजी कैलेंडर से मनाया जाने वाला एकमात्र हिंदू पर्व मकर संक्रांति भी अब 14 जनवरी के बजाय एक दिन पहले या बाद में मनाई जाने लग गई है।
हमारे ऋषि मुनियों द्वारा जिन पंचांगों के आधार पर सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण की तारीख की सटीक गणना सदियों पहले कर दी जाती थी, उन्हीं पंचांगों को विचार करके क्या रक्षाबंधन और जन्माष्टमी आदि पर्वों को मनाने का सटीक व स्पष्ट निर्णय नहीं लिया जा सकता?
आदि शंकराचार्य जी ने चारों दिशाओं में चार मठ स्थापित किए। उत्तर में ज्योतिर्मठ, दक्षिण में श्रृंगेरी मठ, पूर्व में गोवर्धन मठ और पश्चिम में शारदा मठ। इन सभी मठों पर सनातन के चार शंकराचार्य भी विराजमान हैं।
ऐसा माना जाना जाता है कि ये चारों शंकराचार्य सनातन धर्म की हर छोटी से छोटी चीज जानते हैं। तो ये चारों शंकराचार्य एकमत निर्णय लेकर घोषणा क्यों नहीं कर देते कि फलां त्यौहार फलां तारीख को मनाया जाएगा।
मुझे ऐसा लगता है कि सनातन धर्म को कमजोर करने के लिए विभेद पैदा करने की सुनियोजित साजिश चल रही है और इसके लिए कुछ हिंदू मठाधीशों को प्लांट भी किया गया है जो इस तरह के भेदकारी चीजें फैलाते रहते हैं।
सभी शंकराचार्यों से विनम्र आग्रह है कि ऐसे तत्वों की पहचान कर सनातन धर्म में एकता बनाए रखें और विभेद पैदा करने की साजिशों को जड़ से समाप्त करें।
एक बात तय है जब तक लोग एकमत नहीं होंगे तब तक विश्व विजय और विश्व गुरु बनने का सपना अधूरा रहेगा।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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