 Published By:धर्म पुराण डेस्क
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चांदी, चीनी,चावल, दूध व दूध से बने पदार्थ, वस्त्र, सुगंधित द्रव्य, वाहन सुख भोग के साधन, आभूषण, फैंसी आइटम्स इत्यादि के क्षेत्र में लाभ होता है | सरकारी नौकरी में पदोन्नति होती है | रुके हुए कार्य पूर्ण हो जाते हैं | जिस भाव का स्वामी शुक्र(वीनस) होता है उस भाव से विचारित कार्यों व पदार्थों में सफलता व लाभ होता है |
ज्योतिषाचार्य एवं वास्तु शास्त्री पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार यदि शुक्र(वीनस) अस्त, नीच शत्रु राशि नवांश का, षड्बल विहीन, अशुभ भावाधिपति पाप युक्त दृष्ट हो तो शुक्र(वीनस) की अशुभ दशा में विवाह व दाम्पत्य सुख में बाधा, धन की हानि, घर में चोरी का भय, गुप्तांगों में रोग, स्वजनों से द्वेष, व्यवसाय में बाधा, पशु धन की हानि, सिनेमा–अश्लील साहित्य अथवा काम वासना की ओर ध्यान लगे रहने के कुप्रभाव से शिक्षा प्राप्ति में बाधा होती है | जिस भाव का स्वामी शुक्र(वीनस) होता है उस भाव से विचारित कार्यों व पदार्थों में असफलता व हानि होती है |
जन्म या नाम राशि से 1,2,3,4,5,8,9,11,12 वें स्थान पर शुक्र(वीनस) शुभ फल देता है | शेष स्थानों पर शुक्र(वीनस) का भ्रमण अशुभ कारक होता है |
- जन्मकालीन चंद्र से प्रथम स्थान पर शुक्र(वीनस) का गोचर सुख व धन का लाभ, शिक्षा में सफलता, विवाह, आमोद-प्रमोद, व्यापार में वृद्धि कराता है |
- दूसरे स्थान पर शुक्र(वीनस) के गोचर से नवीन वस्त्राभूषण, गीत संगीत में रुचि, परिवार सहित मनोरंजन, धन लाभ व राज्य से सुख मिलता है |
- तीसरे स्थान पर शुक्र(वीनस) का गोचर मित्र लाभ, शत्रु की पराजय, साहस वृद्धि, शुभ समाचार प्राप्ति, भाग्य वृद्धि, बहन व भाई के सुख में वृद्धि व राज्य से सहयोग दिलाता है |
- चौथे स्थान पर शुक्र(वीनस) के गोचर से किसी मनोकामना की पूर्ति, धन लाभ, वाहन लाभ, आवास सुख, सम्बन्धियों से समागम, जन संपर्क में वृद्धि व मानसिक बल में वृद्धि होती है |
- पांचवें स्थान पर शुक्र(वीनस) के गोचर से संतान सुख, परीक्षा में सफलता, मनोरंजन, प्रेमी या प्रेमिका से मिलन, सट्टा लाटरी से लाभ होता है |
- छठे स्थान पर शुक्र(वीनस) के गोचर से शत्रु वृद्धि, रोग भय, दुर्घटना, स्त्री से झगडा या उसे कष्ट होता है |
- सातवें स्थान पर शुक्र(वीनस) के गोचर से जननेन्द्रिय सम्बन्धी रोग, यात्रा में कष्ट, स्त्री को कष्ट या उस से विवाद, आजीविका में बाधा होती है|
- आठवें स्थान पर शुक्र(वीनस) के गोचर से कष्टों की निवृत्ति, धन लाभ व सुखों में वृद्धि होती है |
- नौवें स्थान पर शुक्र(वीनस) के गोचर राज्य कृपा, धार्मिक स्थल की यात्रा, घर में मांगलिक उत्सव, भाग्य वृद्धि होती है |
- दसवें स्थान पर शुक्र(वीनस) के गोचर से मानसिक चिंता, कलह, व्यवसाय में विघ्न, कार्यों में असफलता, राज्य से परेशानी होती है |
- ग्यारहवें स्थान पर शुक्र(वीनस) के गोचर से धन ऐश्वर्य की वृद्धि, कार्यों में सफलता, मित्रों का सहयोग मिलता है |
- बारहवें स्थान पर शुक्र(वीनस) के गोचर से अर्थ लाभ, भोग विलास का सुख, विदेश यात्रा, मनोरंजन का सुख प्राप्त होता है |
( गोचर में शुक्र(वीनस) के उच्च ,स्व मित्र,शत्रु नीच आदि राशियों में स्थित होने पर, अन्य ग्रह(प्लेनेट) से युति, दृष्टि के प्रभाव से, अष्टकवर्ग फल से या वेध स्थान पर शुभाशुभ ग्रह(प्लेनेट) होने पर उपरोक्त गोचर फल में परिवर्तन संभव है | )
 
 
                                मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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