 Published By:धर्म पुराण डेस्क
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जन्म नाम नक्षत्र के आधार पर निर्धारित किया जाता है। जिस नक्षत्र के जिस चरण में जन्म होता हो, उसी चरण के आधार पर जन्म नाम निर्धारित होता है। जैसे किसी जातक का जन्म अश्विनी नक्षत्र के द्वितीय चरण में हुआ तो जातक का नाम 'चे' अक्षर से प्रारम्भ होगा (चि. चेतन कुमार)।
जबकि प्रसिद्ध नाम जन्म लग्न की राशि, सूर्य राशि | अथवा कुल परम्पराओं के आधार पर रखे जाते हैं। सत्यता तो यही है कि प्रसिद्ध नाम जन्म लग्न की राशि या सूर्य की राशि के आधार पर ही रखे जाने चाहिए।
ऐसे अधिकांश उदाहरण देखने को मिलते हैं जिनकी जन्म कुंडली नहीं बनी (जन्म के समय) और उनके नाम रख दिये गये। कालांतर में जब कुंडली बनाई गई तो उनका नाम चंद्र राशि, सूर्य राशि, लग्न राशि (जन्म कुण्डली की) पर ही आधारित मिला ऐसा भी देखने को मिला कि उपरोक्त तीनों राशियों (चंद्र, सूर्य, लग्न) व प्रसिद्ध नाम की राशि का स्वामी एक ही रहा। इसलिए प्रसिद्ध नाम उक्त दोनों राशियों (सूर्य व लग्न की) पर ही रखना चाहिए।
जन्म नाम व प्रसिद्ध नाम की पृथक-पृथक उपादेयता होती है। दोनों ही नामों का प्रयोग अलग-अलग कार्यों हेतु किया जाता है।
यथा- जन्म नाम-
'विद्यारम्भे विवाहे च सर्व संस्कार कर्मसु।
जन्म राशेः प्रधानत्वं नाम राशि च चिन्तयेत॥'
अर्थात् विद्यारम्भ करने, प्रतियोगी परीक्षाओं के फार्म भरने (भरे उस दिन प्रसिद्ध नाम राशि के साथ जन्म राशि व नक्षत्र से चन्द्र व तारा का बल भी देखें) (फार्म सदा प्रसिद्ध नाम से ही भरा जाता है।), विवाह संबंधी कार्यों तथा सभी संस्कारों (नामकरण, उपनयन आदि 16 संस्कार) को करने में जन्म राशि से ग्रह गोचर देखा जाता है। देखा जाना चाहिए।
नाम (प्रसिद्ध) राशि-
'देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नाम राशेः प्रधानत्वं जन्म राशि न चिन्तयेत्॥'
अर्थात् देश-परदेश में अपने गांव व घर में, परस्पर वाद-विवाद, प्रतियोगिता (शारीरिक या मानसिक) में, युद्ध में, चुनाव में, राजकीय सेवा या नौकरी संबंधी कार्यों में तथा लोक व्यवहार में नाम राशि की अर्थात् प्रसिद्ध नाम की महत्ता होती है। प्रसिद्ध नाम के आधार पर ग्रह-गोचर (मुहूर्तादि शुभाशुभ देखने में) देखा जाता है। देखा जाना चाहिये। इसमें छिपा रहस्य भी अद्भुत है जानने हेतु आप स्वयं भी दिमाग दौड़ावें।
 
 
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