कृष्ण ने नरकासुर का वध कर 16 हजार कन्याओं को बचाया।
रूप चौदस शुरुआत- पांच दिवसीय पर्व के दूसरे दिन रूप चौदस मनाया जाता है। इसे नरक चतुर्दशी, छोटी दिवाली, काली चतुर्दशी, रूप चौदस भी कहते हैं। देवी काली ने पृथ्वी और स्वर्ग को क्रूर राक्षसों के हाथों से बचाने के लिए इसी दिन जन्म लिया था।
बंगाल में यह त्यौहार मां काली की पूजा के लिए समर्पित है और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस पर्व को मनाने की मुख्य परंपरा द्वापर युग से शुरू हुई। द्वापर में कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन ही भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था। इसी दिन भगवान कृष्ण ने 16,100 कन्याओं को नरकासुर के बंदी गृह से मुक्त कराया था।
महत्व - यह पर्व महिला सम्मान और सौंदर्य को समर्पित रहा है। इसे सौंदर्य पर्व भी कहते हैं। मान्यता है कि इस दिन सूर्योदय से पहले उबटन लगाकर नदियों में स्नान करने से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है और पुण्य मिलता है। यह परलोक को सुधारने के दिन के रूप में भी पहचाना जाता है।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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