हर व्यक्ति से जीवन में किसी न किसी तरह से कोई भूल या गलती हो जाती है. कुछ लोग उन गलतियों को छुपा लेते हैं और आगे बढ़ जाते हैं तो कुछ लोग उस गलती के लिए माफी मांगते हैं या उसपर प्रायश्चित करते हैं.
अपनी गलती को मानकर उसके लिए माफी मांगना जीवन में सबसे साहस का काम होता है. लेकिन, गलती छुपाकर माफी न मांगना सबसे बड़ा पाप है. तो आइए कथावाचक चित्रलेखा जी से जानते हैं कि अगर जीवन में कोई बड़ी गलती या भूल हो जाए तो उसके लिए प्रायश्चित कैसे करना है.
1. कथावाचक चित्रलेखा कहती हैं कि जीवन में सबसे कुछ ना कुछ गलती तो होती ही है और कभी कभी बड़ी गलती भी हो जाती है.
2. गलती हो गई है तो उसको भगवान के चरणों में या उनके सामने हाथ जोड़कर कह दीजिए कि हे प्रभु! भूल हो गई. तू संभाल! गलत मार्ग पर ना जाऊं हे प्रभु ऐसी बुद्धि दो.
3. कथावाचक चित्रलेखा जी आगे कहती हैं कि भगवान से रोज धन दौलत मत मांगा करो, वो मिल जाना इतनी बड़ी कोई बात नहीं.
4. प्रभु से ये मांगो कि मैं कभी पथभ्रष्ट ना होऊं, मार्ग से ना भटकू, अधर्म के रास्ते पर कभी ना जाऊं और ना कभी अपराध के रास्ते पर जाऊं. वो आगे कहती हैं कि क्योंकि ये मन बड़ा चंचल है. कब पटकनी लगा दे कुछ नहीं पता. इसलिए कहो कि हे प्रभु! आप साथ रहोगे तो मुझे विश्वास है कि ये मन कभी गलत रास्ते पर नहीं जाएगा.
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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