भारतीय संस्कृति में महिलाओं के लिए केश संवारना अत्यंत आवश्यक बताया गया है उलझे एवं बिखरे हुए बाल अमंगलकारी कहे गए है।
नवरात्र में जो माताएं बहने खुले बाल करके देवी मंदिर दर्शन करने या जल चढ़ाने जाती हैं| वह अपने लिए शोक एवं दुख को आमंत्रण देती है _अतः सभी बाल बांधकर और सिर पर पल्लू रखकर ही पूजा पाठ करने एवं जल चढ़ाने मंदिर जाएं जिससे सकारात्मक फल की प्राप्ति हो।
सत्य का स्वभाव कड़वा होता है, यह बात का सदा ध्यान रखना चाहिए ,कि खुले बाल, शोक और नकारात्मक संकेत देते हैं.....?
__विशेषत: ....!
अबला कच भूषन भूरि छुधा।
धनहीन दुखी ममता बहुधा॥
देखें....
रामचरितमानस में बाबा तुलसी
कलयुग का वर्णन करते हुये कहते हैं -
कि कलयुग में स्त्रियों के बाल ही भूषण हैं ...!
उनके शरीर पर कोई आभूषण नहीं रहा__
कितना सटीक है,
आज के संदर्भ में आप जानते हैं। आजकल हमारी माताएं बहने .. फैशन के चलते कैसा अनर्थ कर रही है ...!!
रामायण में बताया गया है~ जब देवी सीता का श्रीराम से विवाह होने वाला था, उस समय उनकी माता ने उनके बाल बांधते हुए उनसे कहा था, विवाह उपरांत सदा अपने केश बांध कर रखना।
बंधे हुए लंबे बाल आभूषण श्रृंगार होने के साथ साथ संस्कार व मर्यादा में रहना सिखाते हैं।
ये सौभाग्य की निशानी है , एकांत में केवल अपने पति के
लिए इन्हें खोलना। ~~ ऋषी मुनियों व साध्वियों ने हमेशा बाल को बांध कर ही रखे।
महिलाओं के लिए केश संवारना अत्यंत आवश्यक है उलझे एवं बिखरे हुए बाल अमंगलकारी कहे गए है। -
कैकेई का कोप भवन में बिखरे बालों में रुदन करना
और अयोध्या का अमंगल होना।।
#पति से वियुक्त तथा शोक में डुबी हुई स्त्री या रजस्वला धर्म के समय ही बाल खुले रखती है।।
जब रावण देवी सीता का हरण करता है तो उन्हें केशों से पकड़ कर अपने पुष्पक विमान में ले जाता है। अत: उसका और उसके वंश का नाश हो गया।।
महाभारत युद्ध से पूर्व कौरवों ने द्रौपदी के बालों पर हाथ डाला था, उनका कोई भी अंश जीवित न रहा।
कंस ने देवकी की आठवीं संतान को जब बालों से पटक कर मारना चाहा तो वह उसके हाथों से निकल कर महामाया के रूप में अवतरित हुई।।
कंस ने भी अबला के बालों पर हाथ डाला तो उसके भी संपूर्ण राज-कुल का नाश हो गया।। सौभाग्यवती स्त्री के बालों को सम्मान की निशानी कही गयी है।।
भोजन आदि में बाल आ जाय तो उस भोजन को ही हटा दिया जाता है।।
#इस बात का हमेशा ध्यान रखें....!
बालों के द्वारा बहुत सी तन्त्र क्रिया होती है ~
जैसे वशीकरण यदि कोई स्त्री खुले बाल करके निर्जन स्थान या... ऐसा स्थान जहाँ पर किसी की अकाल मृत्यु हुई है.. ऐसे स्थान से गुजरती है तो ~ तो ऊपरी 💀बाधा का योग बन सकता है...
वर्तमान समय में पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव से महिलाएं खुले बाल करके रहना चाहती हैं, और पूजा पाठ भी इसी अवस्था में कर रही है जो पूर्णतः अनुचित माना गया है।
कहते हैं जब बाल खुले होगें तो
आचरण भी स्वछंद ही होगा।
साभार : शास्त्र संस्कृति प्रवाह
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