Published By:धर्म पुराण डेस्क

उत्तर दिशा का महत्व, कौन है उत्तर दिशा का स्वामी

उत्तर दिशा पर कुबेर का अधिकार है। इस दिशा का प्रतिनिधि ग्रह बुध है। यह जन्मकुण्डली के चौथे भाव का प्रतिनिधित्व करती है। इस दिशा में दोष होने पर गृहस्वामी की माता को विपरीत परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है। 

अस्वस्थता, मातृ सुख में कमी एवं स्त्रियों के कारण परेशानी होती रहती है। यहां पर जलस्रोत होना धननाशक है। वहीं अग्रि होने पर कलह कारक है। धन-सम्पत्ति रखने हेतु यह स्थान उत्तम है। नव-विवाहितों को इस दिशा में बने कक्ष में शयन करना चाहिये। इससे दम्पती के मध्य प्रेमभाव बढ़ता है तथा सम्बन्ध लम्बे समय तक बने रहते हैं। इस स्थल को खाली, सुंदर एवं स्वच्छ रखना चाहिए जिससे धन संबंधी परेशानी नहीं आ सके। 

घर के कीमती सामान यथा सोने-चांदी के आभूषण हीरा, मोती, पन्ना एवं अन्य मूल्यवान धातुओं को धन के साथ इसी दिशा में रखा जाना चाहिए। इस दिशा में रखने से धन का खजाना भरा रहता है। 

किसी विद्वान ज्योतिषी से अभिमंत्रित कुबेर यंत्र एवं बुध यंत्र को इस दिशा में बनी अलमारी में धन के साथ रखने से निरन्तर आर्थिक स्थिति में मजबूती आकर सुख-समृद्धि भी बढ़ती है। इस दिशा में बने कक्षों में हरे रंग का प्रयोग, तोते को पालना, बुध मंत्र का नित्य प्रति जाप एवं बुधवार का व्रत भी दोष दूर करने में सहायक है।

वगाराम सिंह परिहार


 

धर्म जगत

SEE MORE...........