Published By:धर्म पुराण डेस्क

खंडवा के ताज अयोध्या में दिखाएंगे राम-भक्ति, आपके ही नहीं, हम भी राम वाले हैं  

22 जनवरी को अयोध्या में भगवान श्री राम के अभिषेक को लेकर देशभर में उत्साह का माहौल है। ये उत्साह सिर्फ हिंदुओं में ही नहीं बल्कि मुसलमानों में भी है। न केवल हिंदू, बल्कि मुस्लिम समुदाय के लोग भी मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के प्रति आस्था और सम्मान रखते हैं। 

ऐसे ही एक राम भक्त हैं मध्य प्रदेश के खंडवा जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर एक गांव हापला-दीपला के दृष्टिहीन कवि अकबर ताज। खंडवा के कवि अकबर ताज को 14 जनवरी को अयोध्या में होने वाले आयोजन में काव्य-पाठ के लिए आमंत्रित किया गया है। उनके शरीर के रोम-रोम में राम विद्यमान हैं। उन्होंने भगवान श्री राम पर रचनाएँ भी लिखी हैं, अकबर कहते हैं “बनारस की सुबह वाले अवध की शाम वाले हैं, हम ही सुजलाम वाले हैं, हम सुफलाम वाले हैं, वजू करते हैं, पांचों वक्त हम गंगा के पानी से, तुम्हारे ही नहीं श्रीराम, हम भी राम वाले हैं।” 

खंडवा के अकबर ताज को संत जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने 14 जनवरी को अयोध्या में होने वाले आयोजन में काव्य-पाठ के लिए आमंत्रित किया है। आपको बता दें कि अकबर ताज अपनी रचनाओं के जरिए देशभर में श्रीराम के चरित्र का गुणगान कर रहे हैं। वह कहते हैं, ''भगवान श्री राम सबके हैं। उनका अवतार मानव जाति के कल्याण के लिए हुआ था। इतना ही नहीं, अकबर ताज अब तक दिल्ली, जयपुर, हैदराबाद, लखनऊ और सूरत समेत देशभर के कई काव्य मंचों पर काव्य पाठ कर चुके हैं। 

भगवान श्री राम हमेशा उनकी रचनाओं के केंद्र में रहे हैं। भगवान राम पर लिखी कविताओं ने उन्हें पूरे देश में प्रसिद्धि और सम्मान दिलाया है। वे कहते हैं, भगवान श्री राम की जीवन गाथा हमें सम्मान के साथ जीने की सीख देती है। अकबर ताज ने अपनी रचनाओं में कहा है, “राम बनो तो राम के जैसा होना पड़ता है, राजमहल को छोड़ के वन में सोना पड़ता है, राम कथा को पढ़ लेना तुम आज के राजाओं, धर्म की खातिर राज सिंहासन खोना पड़ता है।”  

अकबर कहते हैं, कि श्री राम को सर्वव्याप्ती हैं, उन्होंने लिखा “यहां भी राम लिख देना, वहां भी राम लिख देना, ये अकबर ताज कहता है, कि चारों धाम लिख देना, समंदर में भी फेंकोगे तो पत्थर तैर जाएंगे, मगर उन पत्थरों पर रामजी का नाम लिख देना।”   

वहीं मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के चरित्र का वर्णन करते हुए अकबर लिखते है, कि “मुझे तू राम के जैसा या फिर लक्ष्मण बना देना, सिया के मन के जैसा मन मेरा दर्पण बना देना, मुझे अंधा बनाया है, तो मुझको गम नहीं इसका, मेरी संतान को भगवन मगर श्रवण बना देना

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