Published By:धर्म पुराण डेस्क

जानिए हनुमान जी के गुरु (आचार्य) क्यों हैं सूर्य देव..

पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की श्रीमद बाल्मीकि रामायण में उल्लेख है कि एक बार माता अंजनी जब घर पर नहीं थी तब हनुमान जी को बहुत जोर से भूख लगी जब उन्हें घर में कुछ भी खाने को प्राप्त नहीं हुआ तो उन्होंने उदीयमान सूर्य को स्वादिष्ट पका हुआ फल समझा तथा उन्होंने सूर्य को निगलने की कोशिश करने लगे उस समय सूर्य ग्रहण लगने वाला था| 

राहु ने जब हनुमान जी को सूर्य के इतने पास देखा तो इसकी शिकायत उन्होंने इंद्र से की I सूर्य को बचाने के हेतु इंद्र ने हनुमान पर वज्र से प्रहार किया जिससे हनुमान की ठोड़ी कुछ टेढ़ी हो गई तथा वे मूर्छित होकर भूमि पर गिर गए| 

यह देख कर पवन देव को दुःख हुआ व क्रुद्ध होकर उन्होंने अपनी गति बंद कर दी फलस्वरूप सभी के प्राण संकट में पड़ गए, तब सभी देव ब्रह्मा जी को साथ लेकर पवन देव के पास गए उन्हें प्रसन्न कर हनुमानजी को आशीष सहित शस्त्रादि प्रदान किये साथ ही सूर्यदेव ने उन्हें अपना तेज दे कर शिष्य बनाया| 

परन्तु जब सूर्य देव के पास वे शिक्षा प्राप्त करने गए तो सूर्य देव ने उनको टालने के लिए कहा कि वे स्थिर रह कर शिक्षा नहीं दे सकते है तब ज्ञान के भूखे हनुमान जी ने सूर्य देव की ओर मुख कर पीठ की ओर गमन कर विद्या प्राप्त की इसी प्रकार उन्होंने सूर्य देव से सभी प्रकार की शिक्षा प्राप्त की|

जानिए हनुमान जी के इष्ट क्यों हैं प्रभु श्री राम—-

जब हनुमान जी अपने इष्ट श्री राम से मिले तो श्री राम जी उनकी भाषा व वाणी से प्रभावित होकर लक्ष्मण जी से बोले कि जिसने ऋग्वेद का ज्ञान न लिया हो, जिसने यजुर्वेद का अभ्यास न किया हो, जो सामवेद का विद्वान न हो, वह ऐसे सुन्दर बोल नहीं बोल सकता इसके पश्चात भी कई बार उनकी बुद्धिमानी प्रमाणित हुई थी जैसे कि सीता खोज में जब वे गए थे तब सुरसा ने भी उनकी परीक्षा ली थी|

सूर्य देव की इच्छा अनुसार वे सुग्रीव की रक्षा करने गए थे तथा जब सुग्रीव को भय न रहा तब उन्होंने स्वयं हनुमान को श्री राम की सेवा में जाने के लिए कह दिया क्योंकि हनुमान का मन श्री राम में बसता था|

व्रत विधि– पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार व्रती को चाहिए कि वह व्रत की पूर्व रात्रि को ब्रह्मचर्य का पालन करे तथा पृथ्वी पर शयन करें प्रात: ब्रह्म मुहूर्त में उठकर श्रीराम- जानकी हनुमान जी का स्मरण कर नित्य क्रिया से निवृत हो स्नान करें| 

हनुमान जी की प्रतिमा की प्रतिष्ठा करें षोडशोपचार विधि से पूजन करें ॐ हनुमते नमः मंत्र से पूजा करें इस दिन वाल्मीकि रामायण तुलसीकृत श्री राम चरित्र मानस के सुंदरकांड का या हनुमान चालीसा के अखंड पाठ का आयोजन चाहिए| 

हनुमान जी का गुणगान भजन एवं कीर्तन करना चाहिए, हनुमान जी के विग्रह का सिंदूर श्रृंगार करना चाहिए! नैवेध मे गुड, भीगा चना या भुना चना तथा बेसन के लड्डू रखना चाहिए|


 

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