 Published By:धर्म पुराण डेस्क
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अगर कुदरत किसी को प्रतिभा दे और व्यक्ति उसकी विपरीत दिशा में चले, तो उसकी प्राकृतिक प्रतिभा, जो उसे भगवान से उपहार स्वरूप मिली है, समाप्त हो जाती है। उसे कौन-सी प्रतिभा मिली है? हस्त रेखाओं को समझ कर, या पढ़कर जाना जा सकता है।
हाथ की अंगुलियां यदि लंबी हों, तो उसे कला संबंधी कार्यों में सफलता प्राप्त हो सकती है, जैसे अंदरूनी सज्जाकार, चित्रकारी, फैशनकार। इस प्रकार के व्यवसाय को, यदि व्यक्ति चाहे तो, अपने दूसरे या तीसरे व्यवसाय के रूप में भी चुन सकता है।
हाथ में मंगल ग्रह खराब हो या जीवन रेखा खराब होने पर ऐसे कार्यों में बहुत ही सोच-समझ कर हाथ डालना चाहिए।
भाग्य रेखा मोटी और दोषपूर्ण होने पर व्यक्ति को कर्ज लेने और देने के बारे में बहुत ही सोच-विचार करना चाहिए। अक्सर उनका धन डूब जाता है।
मस्तिष्क रेखा में शनि क्षेत्र के नीचे यदि सितारा हो, तो इन्हें सिर में चोट, या जीवन साथी को दिमाग से रक्तस्राव, आंख में चोट आदि होने के लक्षण पाए जाते हैं। दोनों हाथों में इस प्रकार के लक्षण होने पर यह स्वयं के जीवन को प्रभावित करता है।
अतः व्यक्ति को चाहिए कि वाहन चलाने या अन्य कार्यों में या शारीरिक क्षमता की तरफ ध्यान दें। इस प्रकार के दोष से व्यवसाय का भी हास होता देखा गया है।
गुरु की अंगुली सूर्य की अंगुली से लंबी होने पर जातक समाज में उच्च स्थान ग्रहण करने वाले होते हैं। अक्सर देखा गया है कि ऐसे लोग धार्मिक और व्यावहारिक होते हैं और अपने जीवन में अनैतिक कार्य नहीं करते। इनका स्वभाव मिलनसार होता है।
यदि जीवन रेखा टूट जाए तो उन्हें फल प्राप्त करने में बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
सूर्य की अंगुली सीधी और जीवन रेखा गोल होने पर व्यक्ति उच्च कोटि का साहित्यकार लेखक के रूप में सफल व्यक्ति होता है। सामाजिक कार्यकर्ताओं के हाथ में सूर्य की अंगुली उत्तम होती है। यदि भाग्य रेखा मोटी हो, तो यह सूर्य के गुण को खत्म भी कर देती है।
शनि और सूर्य की अंगुलियां बराबर होने पर उनको आने वाली घटना का आभास हो जाता है। शनि और सूर्य की अंगुली सीधी होने पर जातक बहुत धनी, विख्यात और सम्मान पाने वाले होते हैं। किंतु यदि मस्तिष्क रेखा दोषपूर्ण हो, तो ये अपने कार्य से लाभ नहीं उठा पाते। अतः इस दोष की मुक्ति हेतु सूर्य को जल देना और सर्व बाधा मुक्ति यंत्र की स्थापना करनी चाहिए।
दोहरी जीवन रेखा होने से जीवन में सुख, शांति, धन और प्रतिष्ठा आती है तथा बड़ी-बड़ी दुघर्टनाओं से रक्षा होती है। ऐसी जीवन रेखा संतान प्राप्ति में बाधक होती है। यदि यह दोषपूर्ण हो, तो जीवन में बहुत बड़ी-बड़ी घटनाओं को अंजाम देती है।
शाखान्वित मस्तिष्क रेखा होने पर मनुष्य में कर्तव्य शक्ति अधिक होती है। ऐसे लोग किसी के दबाव में रहना पसंद नहीं करते हैं। जीवन और मस्तिष्क रेखा दोष रहित होने पर जातक अपना निर्वाह उत्तम और स्वतंत्र रूप से करते हैं। इन्हें गुण अर्जन की लगातार इच्छा रहती है। इनमें अंतर्ज्ञान की शक्ति पाई जाती है।
दूरदर्शिता के कारण इन विलक्षण सफलता मिलती है। किंतु मस्तिष्क रेखा का दोष इनके गुणों को कम कर देता है।
शनि ग्रह हाथ में उत्पन्न होने पर व्यक्ति अध्यात्म, गुप्त विद्याओं, ज्योतिष, या कला की परख करने वाले होते हैं, और शनि की अंगुली विशेष लंबी होने पर सच्चे साधक भी होते हैं।
शनि उत्तम होने पर वे किसी बड़े उद्योग के स्वामी, या प्रबंधक भी होते हैं। किंतु शनि पर अधिक रेखाएं हों, या इस ग्रह के दोषपूर्ण होने पर विशेष रूप से व्यक्ति सोचता है, उदास तथा जीवन भर अशांत रहता है।
इस प्रकार से हाथ में अन्य हजारों लक्षणों से मनुष्य, अपनी और दूसरों की पहचान कर, जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर कर सकता है। इसके लिए विभिन्न प्रकार के उपाय काफी कारगर सिद्ध हुए हैं।
-पंडित दिनेश कुमार
 
 
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