Published By:धर्म पुराण डेस्क

ध्वजारोहण के साथ कुंडलपुर महोत्सव का आगाज

- घट यात्रा में महिलाओं ने गाए मंगल गीत 

आचार्य श्री ने कहा यह महोत्सव कई गुणित फल देने वाला है

इस अवसर पर आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने कहा कि यह ऐसा धार्मिक अनुष्ठान है जो कई गुणित फल देने वाला है। आचार्य श्री ने यह भी कहा कि महोत्सव में लाखों लोग विशुद्ध भाव से भगवान की भक्ति करेंगे। यदि दुष्ट व्यक्ति प्रवेश करेगा तो देव उसे खदेड़ देंगे। महोत्सव में पहले दिन देश विदेश से लगभग 25 हजार लोग पहुंचे थे

सोमवार को दोपहर में कुंडलपुर तलहटी स्थित जैन मंदिर से विशाल घटयात्रा प्रारंभ हुईं। हजारों की तादाद में महिलायें मंगल कलश सिर पर लेकर मंगल गीत गाते हुए चल रही थीं। केसरिया परिधान में हजारों पुरूष व बच्चे नृत्य करते हुए चल रहा थे। युवा मंडल के बैण्ड मधुर ध्वनियां बजा रहे थे। घट यात्रा के साथ लगभग 2000 दिगम्बर जैन प्रतिमाएं भी शामिल थीं। इनमें छोटी प्रतिमाओं को भक्तगण सिर पर रखकर चल रहे थे। आचार्य श्री का विशाल संघ जिसमें लगभग 90 दिगम्बर जैन मुनि एवं 160 आर्यिका मातायें शामिल थी वे आयोजन स्थल के लिये रवाना हुए।

महोत्सव के लिये लगभग 400 एकड में अयोध्या नगरी की रचना की गई है। इस अयोध्या नगरी के मध्य विशाल पांडाल बनाया गया है। पांडाल के बाहर दोपहर 3 बजे शुभ मूहुर्त में प्रतिष्ठाचार्य बाल ब्रह्मचारी विनय भैया ने मंत्रोच्चारण के साथ देव शास्त्र गुरु और ध्वज पूजन शुरु की। आचार्य संघ के विराजमान होते ही भक्तों ने भक्तिभाव से महोत्सव के लिये आचार्य निमंत्रण किया। इसके बाद दानवीर अशोक पाटनी एवं सुशीला पाटनी परिवार ने तालियों की गडगडाहट के साथ 101 फीट के दण्ड पर लगा ध्वज फहराया। 24 अन्य ध्वज भी फहराये गये। खास बात यह थी कि ध्वज फहरते ही उसमें रखे रत्न कुंडलपुर के बड़े बाबा की ओर बिखर गये, जबकि ध्वज हवा के साथ पूर्व दिशा की ओर लहराने लगा। यह महोत्सव के लिये सबसे शुभ संकेत माना जाता है।

आज मैं बहुत खुश हूं : आचार्यश्री

ध्वजारोहण के बाद आचार्य संघ मुख्य पांडाल में विराजमान हुआ। जहां आचार्यश्री ने संक्षिप्त प्रवचन में कहा कि आज इस महोत्सव की शुरुआत में जितनी खुशी आप सभी को है, उससे ज्यादा मुझे हो रही है। उन्होंने कहा कि बड़े बाबा के आंगन में आयोजित यह महोत्सव कई गुणित फल देने वाला है। यहां से लोगों की झोली भरने वाली है। आचार्यश्री ने महोत्सव के पहले दिन ही मौसम के साथ देने पर कहा कि बड़े बाबा की संस्कृति में प्रकृति को तो साथ देना ही है। उन्होंने कहा कि महोत्सव के पहले दिन न ठण्ड है, न गर्मी है और न ही बारिश हो रही है। यहां सिर्फ बड़े बाबा के आशीर्वाद और कृपा की बारिश हो रही है, जिसे इसमें भीगना है वह यहां आ रहे हैं। आचार्यश्री ने कहा कि आप इस महोत्सव में अपना पुण्य इतना बढ़ा लो कि पाप कर्म भाग जाएं। उन्होंने इस बात पर खुशी जाहिर की कि महोत्सव की शुरुआत शुभ मुहूर्त में हो गई है। पहले आप सभी आयोजन को लेकर भयभीत थे। मोक्षमार्ग में भय भी जरूरी है। लेकिन अब पूरी तन्मयता से बड़े बाबा की भक्ति के साथ सद्कार्य में लग जाइये।

मंगलवार को भक्तिमर विधान व सकलीकरण

प्रतिष्ठाचार्य विनय भैया ने बताया कि महोत्सव के दूसरे दिन मंत्रोच्चार के साथ मंडप शुध्दि, पात्रों का सकलीकरण एवं भक्तिमर विधान किया जाएगा।

 

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