Published By:धर्म पुराण डेस्क

सावन के आखिरी सोमवार पर कई शुभ संयोग, जानिए मुहूर्त-पूजन विधि 

आज यानी कि 8 अगस्त को सावन का आखिरी सोमवार है, वैसे तो सावन का प्रत्येक सोमवार शिव पूजा और आराधना के लिए उत्तम माना जाता है। इस दिन जलाभिषेक का विशेष महत्व होता है। 

शिव पुराण में सावन सोमवार के महत्व का वर्णन मिलता है। शिव पुराण के अनुसार इस दिन जो भी भक्त पूरी श्रद्धा से भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना करेगा उसकी सभी इच्छा पूर्ण होगी।  

सावन का आखिरी सोमवार बेहद खास है क्योंकि इस दिन कई संयोग बन रहे हैं। सावन के चौथे और आखिरी सोमवार पर एकादशी और रवि योग का संयोग बन रहा है। इस दिन श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पवित्रा एकादशी भी है। 

सावन पवित्रा एकादशी को पुत्रदा एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की आराधना से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। वहीं रवि योग में शिव-विष्णु की पूजा बहुत लाभकारी मानी जाती है। 

रवि योग इतना प्रभावशाली होता है कि इसमें देवी-देवताओं की आराधना से सुख समृद्धि में वृद्धि होती है। सभी के कार्य शुभ और सफल हो जाते हैं। 

चौथे सावन सोमवार 2022 मुहूर्त .. 

ब्रह्म मुहूर्त - 04.29 सुबह - 05.12 सुबह 

अभिजित मुहूर्त - 12.06दोपहर- 12.59 दोपहर 

गोधूलि मुहूर्त - 06.57 शाम - 07.21 शाम 

रवि योग - सुबह 05 बजकर 46 मिनट- दोपहर 02 बजकर 37 मिनट तक (8 अगस्त 2022) 

पुत्रदा एकादशी 2022: 

श्रावण मास पुत्रदा एकादशी तिथि आरंभ- 7 अगस्त 2022, 11.50 रात्रि से,  

श्रावण मास पुत्रदा एकादशी तिथि समाप्त- 8 अगस्त 2022, 9:00 रात्रि में.  

सावन सोमवार 2022 पूजा विधि:  

सावन के चौथे सोमवार पर सूर्योदय से पूर्व स्नान कर लें और सर्वप्रथम सूर्य भगवान को अर्घ्य दें. रवि योग में सूर्य को अर्घ्य देने पर गंभीर रोग खत्म हो जाते है। 

पूजा स्थान पर गंगाजल छिड़कर व्रत का संकल्प लें और प्रथम पूजनीय गणेश जी, मां पार्वती और भगवान शंकर का आह्ववान करें। 

अब शिवलिंग का जलाभिषेक करें। सावन सोमवार के दिन पार्थिव शिवलिंग बनाकर रुद्राभिषेक करना बहुत फलदायी होता है। 

शिवजी का पंचाक्षर मंत्र ओम नमः शिवाय का जाप करते हुए भोलेनाथ संग मां पार्वती का षोडशोपचार पूजन करें। दूध, दही, घी, शक्कर, पंचामृत, रोली, मौली, अक्षत, बेलपत्र, धतूरा, शमी, भांग, भस्म, भोडल, चंदन, रुद्राक्ष, आक के पुष्प आदि अर्पित करें। 

पति-पत्नी संग मिलकर भोलेनाथ की पूजा करें और शिव चालीसा का पाठ करें। मान्यता है इससे वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है। अब धूप, अगरबत्ती, फल, मिठाई का भोग लगाएं और आरती करें।


 

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