मत्स्य द्वादशी 2023 तिथि:
मत्स्य द्वादशी 2023 का आयोजन 23 दिसंबर को होगा। इस दिन हिंदू धर्म में भगवान विष्णु के पहले अवतार, मत्स्य अवतार की पूजा की जाती है।
मत्स्य द्वादशी पूजा विधि-
स्नान और साफ-सफाई:
सुबह उठकर स्नान करें और घर की साफ-सफाई करें। एक साफ आसन पर पीला वस्त्र बिछाकर भगवान विष्णु की प्रतिमा को स्थापित करें।
पूजा विधि:
भगवान विष्णु की प्रतिमा को चंदन, हल्दी, फूल, और धूप से अर्पित करें। उन्हें भोग लगाकर विष्णु के मंत्रों का जाप करें और आरती करें।
भोग और प्रसाद:
भगवान को पुष्प, फल, नैवेद्य, और खीर से भोग लगाएं। इसके बाद प्रसाद के रूप में घर के लोगों को बाँटें।
व्रत और आराधना:
मत्स्य द्वादशी के दिन भगवान विष्णु की आराधना में सच्चे मन से लगे रहें। व्रत रखने से मनुष्य को सुख, शांति, और आरोग्य की प्राप्ति होती है।
मत्स्य द्वादशी व्रत के लाभ:
भक्ति भाव से मन्नतें पूर्ण होती हैं और विष्णु देव सदैव रक्षा करते हैं। पति और संतान को उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। घर में सुख-शांति बनी रहती है। इस व्रत से मनुष्य को ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है।
सावधानियां:
व्रत रखते समय श्रद्धा और भक्ति से करें। आराधना में सच्चे मन से लगे रहे और मन्नतें मांगें। व्रत के दिन विष्णु सहस्त्रनाम और मत्स्य पुराण का पाठ करना अच्छा होता है।
मत्स्य द्वादशी के व्रत के पालन से आप भगवान विष्णु के कृपा और आशीर्वाद में समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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