संस्कृत- जातिफल, जाति, जातिशा, आयफल, सगा, कोपा, कोषक, मधुशोंदा, मालतीफला राजभोग्या सुमनफल, शालुका, हिन्दी- जायफल, बंगाली- जायफल, गुजराती- जायफल, लेटिन- मायरिस्टिका फ्रेगरेंस।
जायफल का वृक्ष जावा, मलाया प्रायद्वीप और मलाया द्वीप में पैदा होता है। यह बड़ी जाति का वृक्ष है। इसकी शाखाएं नाजुक रहती हैं। इसका फल लंबा गोल होता है। इसकी छाल के भीतर एक लाल गुच्छा होता है, जिसको जायपत्री कहते हैं।
जायफल सुगंधित, दीपक, वायुनाशक, उत्तेजक, पौष्टिक और वाजीकरण है। यह आमाशय को उत्तेजना देकर आमाशय में पाचक रस को बढ़ाता है, जिससे भूख बढ़ती है और अत्र पचता है। जब यह आंतों में जाता है, तब वायु को बाहर निकालता है।
जायफल कड़वा, तीक्ष्ण, गर्म, रोचक, हल्का, चरपरा, अग्निदीपक, मलरोधक, स्वर सुधारक तथा कफ, वात, मुख की दुर्गंध, खांसी, वमन, शोथ, पेनिस और हृदय रोग नष्ट करने वाला है। जायफल का तेल उत्तेजक, अग्निदीपक और पुराने अतिसार को नष्ट करने वाला है। यह अफरा, शूल, आमवात तथा व्रण के रोग दूर करता है।
मंदाग्नि: जायफल का चूर्ण शहद से लें, मंदाग्नि मिटेगी व हृदय को बल मिलेगा।
मुंह के छाले: ताजे जायफल का रस पानी में मिलाकर कुल्ला करें, लाभ होगा।
त्वचा की शून्यता: त्वचा की शून्यता मिटाकर उत्तेजना पैदा करने के लिए जायफल के उड़नशील तेल की मालिश करना चाहिए।
अतिसार: लगभग 600 मिलीग्राम से 1 ग्राम तक जायफल खिलाने से मंदाग्नि, अफरा, शूल और अतिसार मिटता है।
विशूचिका (हैजा): ठंडे पानी में जायफल पीसकर पिलाने से हैजा के रोगी की प्यास मिटती है। तेल में घिसकर जायफल की मालिश से हैजा के बांगठे मिटते हैं।
कर्णमूल की सूजन: जायफल को पीसकर कान के पीछे लेप करने से कर्णमूल की गठान बिखर जाती है।
जी मिचलाना: ठंडे पानी में जायफल घिसकर पिलाने से जी मिचलाना बंद होता है।
कमर दर्द: जायफल पानी में जिसकर और तिल के तेल में मिलाकर गर्म करें। अच्छी तरह गर्म होने पर मालिश करें, इससे कमर दर्द में लाभ होता है।
अनिद्रा: पानी या घी में घिसकर जायफल पलकों पर लगाएं, शीघ्र नींद आएगी।
प्यास: हैजा के कारण प्यास हो, तो मुंह में जायफल का टुकड़ा रखें।
दस्त: पानी में जायफल घिसकर तीन बार नित्य पिलाने से दस्त बंद होते हैं। पेट में B गैस हो, तो सौंठ भी घिसकर मिलाएं। दस्त के रोगी को दस्त के अलावा तेज प्यास लगे, उल्टी हो, नींद न आए, तो जायफल का थोड़ा-सा टुकड़ा चूसे एक जायफल पीसकर गुड़ के साथ बेर के बराबर गोलियां बनाकर बदहजमी या बदहजमी से दस्त हों, तो आधा-आधा घंटे से एक गोली खिलाएं, लाभ होगा।
बवासीर: 10 जायफल देशी घी में सुर्ख होने तक सेकें। फिर पीसकर छान लें। इसमें दो कप गेहूं का आटा एवं घी डालकर पुनः सेंकें। सेंकने के बाद स्वादानुसार बूरा (शक्कर) मिला लें। इसे एक चम्मच नित्य सुबह भूखे पेट लें। लाभ होगा।
गैस: नींबू के रस में जायफल घिसकर चाटे, दस्त साफ होकर गैस व कब्ज में आराम होगा।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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