ध्यान: यह प्रयोग कार्तिक मास में किया जा सकता है, परंतु दीपावली की रात को करने से इसका विशेष प्रभाव होता है।
प्रयोग विधि:
* आधी रात को, साधक लाल धोती या स्त्री साधिका लाल साड़ी पहन कर बैठता है।
* एक बड़ा सा तिल के तेल का दीपक बनाएं और उसे जलाएं।
* थाली पर धूप, दीपक, कुमकुम, और अक्षत (राइस) रखें।
* थाली में कालिख लगाएं और उसमें भगवती लक्ष्मी की आकृति बनाएं।
* '21 गोमती चक्र' और 'दरिद्रता निवारक सिद्ध यंत्र' को भी थाली में रखें।
* लक्ष्मी माता को पूजें, उनकी आराधना करें, और मंत्र "ऊँ अर्हि यं लक्ष्मी श्री अर्हि यं" का 21 माला जप करें।
* जप समाप्त होने पर प्रसाद बनाएं और भोग लगाएं।
* रात को दीपक जलाए रखें और सुबह '21 गोमती चक्र' को अपने घर के कोने में गाढ़ दें और 'दरिद्रता निवारक सिद्ध यंत्र' को अपने गले में काले धागे में पिरोकर धारण करें।
उपाय के लाभ:
* दरिद्रता का निवारण होता है और लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है।
* परिवार में आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
* साधक को जीवन में समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है।
सावधानियां:
* इस प्रयोग को ईमानदारी से और शुद्ध सामग्री के साथ करें।
* गुरु या धार्मिक आचार्य से मंत्र और विधि की पूर्णता में सीखें।
* समर्पित भावना के साथ पूजा करें और लक्ष्मी माता का आभास करें।
इस अद्भुत प्रयोग से, दीपावली के महत्वपूर्ण रात्रि में आप दरिद्रता से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं। इसे ध्यानपूर्वक और निष्कलंक भावना से करें ताकि आपका प्रयास सफल हो।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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