आषाढ़ प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है। इस व्रत को व्यक्ति उनकी कृपा और आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए रखता है। यह व्रत शिव पूर्णिमा और अमावस्या के दिन मनाया जाता है।
आषाढ़ प्रदोष व्रत की पूजा विधि निम्नलिखित रूप से होती है:
पूजा की तैयारी: पूजा के लिए शुभ मुहूर्त के अनुसार सामग्री तैयार करें। इसमें शिवलिंग, गंध, दीप, धूप, फूल, फल, नीरजल, अर्क, अक्षत, कपूर, बेल पत्र, बिल्व पत्र, पान के पत्ते, जल, घी, शहद, धान्य, वस्त्र, पूजा पुस्तक, आरती की थाली, कलश आदि शामिल हो सकते हैं।
स्नान: व्रत की पूजा से पहले स्नान करें और शुद्ध वस्त्र धारण करें।
पूजा का आरंभ: पूजा की शुरुआत गणेश जी की पूजा से करें। फिर शिवलिंग को प्राण प्रतिष्ठापन करें और उसे सुरम्य गंध और फूलों से सजाएं।
मंत्र जप: शिव मंत्र जैसे "ॐ नमः शिवाय" और दूसरे मंत्रों का जाप करें।
पूजा और आरती: शिवलिंग पर जल और अर्क चढ़ाएं। फिर बेल पत्र, बिल्व पत्र, पान के पत्ते, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य, आरती आदि से पूजा करें।
व्रत कथा सुनें: आषाढ़ प्रदोष व्रत की कथा को सुनें और भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना करें।
प्रदोष व्रत कथा के बाद भगवान शिव की आरती उतारें और फल, प्रसाद, चादर, धन्य, कपूर आदि से प्रसाद वितरित करें।
शुभ मुहूर्त (15 जून 2023 के लिए):
प्रदोष काल: 6:58 PM से 9:17 PM,
पूर्व विधि काल: 4:30 AM से 6:17 AM,
पूजा विधि काल: 6:17 AM से 9:03 AM,
यह मुहूर्त भारतीय प्रमाण समय के अनुसार हैं, इसलिए अपने स्थानीय पंचांग या पंडित से सत्यापित करें।
आषाढ़ प्रदोष व्रत विशेष रूप से माता पार्वती और भगवान शिव को समर्पित है। यह व्रत प्रतिमा आराधना, मंत्र जाप, पूजा और व्रत कथा के माध्यम से मनाया जाता है। इस व्रत को रखने से मान्यता है कि माता पार्वती और भगवान शिव अपनी कृपा से व्रतार्थी की मनोकामनाओं को पूरा करते हैं।
आषाढ़ प्रदोष व्रत की पूजा विधि निम्नलिखित तरीके से की जाती है:
पूजा सामग्री: पूजा के लिए नीचे दी गई सामग्री की तैयारी करें:
* माता पार्वती और भगवान शिव की प्रतिमा या चित्र।
* गंध (संदलवुड, केशर या चंदन)।
* अक्षत (चावल के दाने)।
* दीप (घी या तेल में बत्ती जलाने के लिए)।
* धूप (अगरबत्ती या धूप की पत्ती)।
* पुष्प (मोगरा, चमेली, जाई, गुलाब आदि)।
* फल और पानी (नैवेद्य के लिए)।
* कलश (पूजा स्थल में स्थापित करने के लिए)।
पूजा की विधि:
- पूजा स्थल को साफ-सुथरा करें और सजाएं।
- माता पार्वती और भगवान शिव की प्रतिमा या चित्र को स्थापित करें।
- उन्हें गंध, अक्षत, दीप और धूप से अर्चना करें।
- पुष्पों की माला बांधकर मंत्रों का जाप करें।
- फल और पानी का नैवेद्य चढ़ाएं।
- आरती करें और प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें।
- व्रत कथा के बाद प्रसाद बांटे और सभी भक्तों को दान करें।
आषाढ़ प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त 15 जून 2023 को है। इस दिन व्रत की शुरुआत सूर्योदय के बाद की जाती है और व्रत का आदान-प्रदान सूर्यास्त के समय होता है। व्रत की समाप्ति अगले दिन सूर्योदय के बाद होती है। इस मुहूर्त में व्रत करने से व्रतार्थी को अधिक फल प्राप्त होते हैं और उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
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