Published By:धर्म पुराण डेस्क

राम नाम – सब रोगों का अचूक इलाज..

एक मशहूर वैद्य ने अभी उस दिन मुझसे कहा था 'मैंने अपनी सारी जिंदगी मेरे पास आने वाले बीमारों को तरह-तरह की दवा की पुड़िया देने में बितायी है| 

लेकिन जब अपने शरीर के रोगों को मिटाने के लिये राम नाम की दवा बतायी, तब मुझे याद पड़ा कि चरक और वाग्भट-जैसे हमारे पुराने धन्वन्तरियों के वचनों से भी आपकी बात को पुष्टि मिलती है। 

आध्यात्मिक रोगों को (आंधियों को) मिटाने के लिये राम नाम के जप का इलाज बहुत पुराने जमाने से हमारे यहाँ होता आया है। लेकिन चूँकि बड़ी चीज में छोटी चीज भी समा जाती है, इसलिये मेरा यह दावा है कि हमारे शरीर की बीमारियों को दूर करने के लिये भी राम नाम का जप सब इलाजों का इलाज है। 

प्राकृतिक उपचारक अपने बीमार से यह नहीं कहेगा कि तुम मुझे बुलाओ तो मैं तुम्हारी सारी बीमारी दूर कर दूँ।' वह तो बीमार को सिर्फ यह बतायेगा कि प्राणिमात्र में रहने वाला और सब बीमारियों को मिटाने वाला तत्त्व कौन-सा है ? 

किस तरह उस तत्व को जागृत किया जा सकता है और कैसे उसको अपने जीवन की प्रेरक शक्ति बनाकर उसकी मदद से अपनी बीमारियों को दूर किया जा सकता है? 

अगर हिन्दुस्तान इस तत्व की ताकत को समझ जाये, तो आज हमारा जो देश बीमारियों और कमजोर तबीयत वालों का घर बन बैठा है, वह तंदुरुस्त और ताकतवर शरीर वाले लोगों का देश बन जाये। राम नाम की शक्ति की अपनी कुछ मर्यादा है और उसके कारगर होने के लिये कुछ शर्तों का पूरा होना जरूरी है। 

राम नाम कोई जंतर-मंतर या जादू-टोना नहीं। जो लोग खा-खाकर खूब मोटे हो गये हैं और जो अपने मोटापे की और उसके साथ बढ़ने वाली बादी की आफत से बच जाने के बाद फिर तरह-तरह के पकवानों का मजा चखने के लिए इलाज की तलाश में रहते हैं, उनके लिये राम नाम किसी काम का नहीं। 

राम नाम का उपयोग तो अच्छे काम के लिये होता है। बुरे काम के लिये हो सकता होता, तो चोर और डाकू सबसे बड़े भक्त बन जाते। राम नाम उनके लिये है, जो दिल के साफ है और दिल की सफाई करके हमेशा साफ पाक रहना चाहते हैं। 

भोग-विलास की शक्ति या सुविधा पाने के लिये राम नाम कभी साधन नहीं बन सकता। बादी का इलाज प्रार्थना नहीं, उपवास है। उपवास का काम पूरा होने पर ही प्रार्थना का काम शुरू होता है, कि यह सच है कि प्रार्थना से उपवास का काम आसान और हल्का बन जाता है। 

इसी तरह एक तरफ से आप अपने शरीर में दवा की बोतलें उड़ेला करें और दूसरी तरफ मुँह से राम नाम लिया करें, तो वह बेमतलब मजाक ही होगा। जो डॉक्टर बीमार की बुराइयों को बनाये रखने में या उन्हें सहेजने में अपनी होशियारी का उपयोग करता है, वह खुद गिरता है और अपने बीमार को भी नीचे गिराता है। 

अपने शरीर को अपने सिरजनहार की पूजा के लिये मिला हुआ एक साधन समझने के बदले उसी की पूजा करने और उसको किसी भी तरह बनाए रखने के लिये पानी की तरह पैसा बहाने से बढ़कर बुरी गति और क्या हो सकती है? 

इसके खिलाफ राम नाम रोग को मिटाने के साथ-ही-साथ आदमी को भी शुद्ध बनाता है और इस तरह उसको ऊँचा उठाता है। यही राम नाम का उपयोग है और यही उसकी मर्यादा।


 

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