 Published By:धर्म पुराण डेस्क
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सावन, हिंदू कैलेंडर के पांचवें महीने, भगवान शिव को समर्पित एक विशेष अवसर है। इस माह में सावन का महीना भगवान शिव के अनुयायियों के लिए विशेष महत्व रखता है, जो उन्हें भगवान शिव के अभीष्ट प्राप्ति के लिए गहन प्रार्थना, उपवास और विभिन्न रस्मों में संलग्न होने की अनुमति देता है।
सावन के इस पवित्र महीने में भगवान शिव की भक्ति और कृपा को प्राप्त करने के लिए, हम इस आध्यात्मिक उत्सव को ध्यानपूर्वक मनाएं।
भगवान शिव के आराधना का महत्व-
भगवान शिव को त्रिमूर्ति में सर्वप्रथम स्थान प्राप्त है, जिनमें वह ब्रह्मा और विष्णु के साथ सम्मिलित हैं। वह सृष्टि, स्थिति और संहार के स्रष्टा, संरक्षक और संहारकारी हैं। भगवान शिव की आराधना और पूजा से विशेष ध्यान और तत्परता से किया जाना चाहिए क्योंकि वह सभी विकारों से पार लगाने वाले और मोक्ष की प्राप्ति के मार्ग को प्रदर्शित करने वाले हैं।
सावन में भगवान शिव की पूजा-
सावन के तीसरे सोमवार, जिसे भगवान शिव का दिन माना जाता है, उस दिन भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन, भक्त भगवान शिव की प्रतिमा को सुन्दर फूलों, धूप, दीप, बेल पत्र, बरफ, और गंगाजल से सजाकर पूजा करते हैं। भक्त शिव मंत्र और श्लोकों का जाप करते हुए, भगवान को विशेष प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। पूजा के बाद, भक्त व्रत कथा सुनकर अपने मनोकामनाएं मांगते हैं और भगवान शिव से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
सावन में उपवास का महत्व-
भगवान शिव की पूजा के साथ-साथ सावन में उपवास का भी विशेष महत्व है। इस मास में शिव भक्त रोजाना एक महीने के लिए व्रत रखते हैं, जिससे उन्हें भगवान की कृपा प्राप्त होती है। व्रत के दौरान भक्त शिव के नाम का जाप, ध्यान और सत्संग करते हैं जो उनके आंतरिक स्प्रितुअल विकास को प्रोत्साहित करते हैं। उपवास के दौरान भक्त अहिंसा, सत्यनिष्ठा, और ध्यान में रहते हैं जो उन्हें भगवान के प्रति अधिक समर्पित बनाता है।
सावन का महीना: एक आत्मिक संवाद-
सावन का महीना भगवान शिव के साथ एक आत्मिक संवाद का समय है। इस माह में हम भगवान के दर्शन, स्पर्श, और संवाद के माध्यम से अपनी आत्मा को नवीन ऊर्जा से अनुपम कर सकते हैं। यह समय हमें जीवन के मूलभूत प्रश्नों पर विचार करने और समझौते की ओर ले जाता है।
सावन के तीसरे सोमवार पर, हम सभी को भगवान शिव की भक्ति में निश्चित होकर, उनके आशीर्वाद के लिए सावधानी से पूजा और उपवास करने का समय है। इस आध्यात्मिक यात्रा में, हम अपने आंतरिक स्वयं को अनुसरण करके भगवान शिव के साथ एक सच्चे संवाद में आनंद और शांति का अनुभव करते हैं। इस भगवानीय मौसम में, हमारी आत्मा को भगवान शिव की कृपा से आनंदित करने की कामना करते हैं।
 
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