Published By:धर्म पुराण डेस्क

शनि जैसा परोपकारी और उदारवादी ग्रह कोई नहीं

शनि जैसा परोपकारी और उदारवादी ग्रह कोई नहीं है। अतः शनि के विषय में शंकालु प्रवृत्ति त्यागकर शिव सेवा में लगे रहें।

शनि एक आध्यात्मिक ग्रह है, शनि के द्वारा मनुष्य के पूर्व जन्म का अनुमान लगाया जा सकता है। शनि न्याय, दर्शन, योग, तपस्या, गहन चिंतन और गूढ़ रहस्यों का कारक होकर संन्यास का प्रेरक भी हैं। भारतीय नवीन संसार संवत 2062 के शनि इस सृष्टि के राजा हैं और महामंत्री बुध को नियुक्त किया है।

शनि की बच्चों व वृद्ध लोगों से अच्छी पटती है। यही कारण है कि बच्चों व वृद्धों को शनि की साढ़ेसाती कम परेशान करती है। मंद ग्रह होने के कारण शनि ग्रह के शुभ प्रभाव विलम्ब से प्राप्त होते हैं लेकिन जो कुछ भी प्राप्त होता है वह एकदम ठोस व स्थायी होता है। 

शनि के विषय में अनेक भ्रांतियां फैली हुई है कि शनि एक क्रूर व आतंकवादी ग्रह है। वास्तव में शनि आतंकित करने अथवा कष्ट देने वाला नहीं अपितु सीधे-सच्चे, दुखी पीड़ितों, असहायों, ईश्वरवादी, मन्दबुद्धि वालों की हमेशा मदद कर उन्हें कष्टों से मुसीबतों से बचाते है। अविश्वासी, नास्तिक, बुद्धि का अधिक प्रयोग करने वाले, धर्म या न्याय के नाम से लूट-खसोट करने वालों को शनि कभी लाभ नहीं पहुँचाता। 

शनि दार्शनिक, भावुक तथा उदारवादी ग्रह है। शून्य से शिखर की ओर तथा शिखर से शून्य (माटी) में मिलाना शनि के लिए चुटकियों का काम है। अहंकारियों का शनि सर्वनाश कर देता है। ऐसे लोगों का शनि मृत्यु तुल्य कष्ट का अनुभव कराता है लेकिन मृत्यु का कारण नहीं बनता|

मंगल और राहु तुरंत फल देने वाला और पाप कर्मों की ओर प्रेरित करने वाला घातक ग्रह है (राहु-केतु के विषय में विस्तृत जानकारी हेतु "चिरायु कालसर्प विशेषांक" का अध्ययन करें)|

शनि सम्पूर्ण परीक्षा के उपरांत वांछित फल प्रदान कर मनुष्य को न्याय संयम और नैतिकता और प्रेरित करने वाला दार्शनिक ग्रह है। अत: नैतिकता, शिव के प्रति अटूट आस्था रखने वाले, न्याय धर्म के मार्ग पर चलने वाले तथा सदैव शुभ कर्मों में रत रहने वाले लोगों से शनि से भयभीत नहीं होना चाहिए।

 

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