पूजा कक्ष (धार्मिक स्थल) के लिए वास्तु दोष और उपाय:
दिशा: पूजा कक्ष की उचित दिशा में होना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसे पूर्व अथवा ईशान कोण में स्थापित करना शुभ माना जाता है। ईशान कोण भगवान और धर्म का प्रतीक होता है और इस दिशा में पूजा करने से धन, सुख और समृद्धि में वृद्धि होती है।
ऊंचाई: पूजा कक्ष को अपने भवन के मुख्य भाग से ऊंचा न रखें। सर्वोच्च भवन में पूजा कक्ष स्थापित करने से वास्तविकता खो जाती है और धन की हानि हो सकती है।
आराम से पूजा करने के लिए स्थान: पूजा कक्ष में आपको आराम से पूजा करने के लिए पर्वतीय या सीढ़ियों वाले स्थान का उपयोग नहीं करना चाहिए। यह वास्तविकता के साथ संबंधित होता है और धन प्राप्ति को प्रभावित कर सकता है।
देवी-देवता की स्थिति: पूजा कक्ष में देवी-देवता की मूर्तियों को सही दिशा में स्थापित करना आवश्यक है। उन्हें दक्षिण अथवा पश्चिम दिशा में स्थापित न करें, क्योंकि यह वैदिक वास्तु शास्त्र में अशुभ माना जाता है।
रंगों का चयन: पूजा कक्ष के लिए उचित रंगों का चयन करना भी महत्वपूर्ण है। इसे धार्मिक भाव से जुड़े रंगों में सजाना शुभ माना जाता है। भगवान विष्णु की पूजा के लिए नीला रंग, माँ लक्ष्मी की पूजा के लिए सफेद रंग और माँ दुर्गा की पूजा के लिए भगवान शिव की पूजा के लिए गुलाबी रंग का उपयोग किया जा सकता है।
आर्थिक नुकसान से बचने के वास्तु उपाय:
उचित दिशा में रखें: अपने घर और कार्यस्थल की बढ़ती हुई लाभ के लिए, धन प्राप्ति के लिए उचित दिशा में काम करना महत्वपूर्ण है। उचित दिशा में नहीं रहने से विपरीत प्रभाव हो सकता है और आर्थिक नुकसान हो सकता है।
साफ-सुथरा रखें: अपने घर और कार्यस्थल को साफ-सुथरा रखने से पॉजिटिव ऊर्जा का संचय होता है और धन की प्रवृद्धि होती है। बिखरी हुई वस्तुएं और कचरा न रखने से धन का संचय होता है और आर्थिक समृद्धि में सहायक साबित होता है।
धन के स्थान: धन संबंधी मुद्दों के साथ संबंधित कार्यस्थल को उचित स्थान पर रखने से धन की वृद्धि होती है। अर्थात्, धन और वित्त से जुड़े काम के लिए अलग से काम करने वाले को दक्षिण या पूर्व दिशा में काम करना चाहिए।
धन के प्रतीक: विभिन्न स्थानों पर धन के प्रतीक जैसे कि कुंडलियों, गुलाब आदि का प्रयोग करना धन के संचय को बढ़ा सकता है।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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