Published By:धर्म पुराण डेस्क

जब लगा शनिदेव को श्राप

न्याय के देवता शनि देव हमें पाप और पुण्य कर्मों का परिणाम देते हैं लेकिन क्या आपको पता है कि शनिदेव को भी श्राप लग गया और यह शाप किसकी वजह से लगा आइए जानते हैं।

शनि का शाप-

बचपन से ही सूर्य पुत्र शनि की भगवान् श्रीकृष्ण के प्रति अगाध श्रद्धा थी। रात-दिन उन्हीं अर्चना में तल्लीन रहते थे यथा समय भगवान् सूर्य ने चित्ररथ की कन्या से शनि का विवाह कर दिया। फिर भी शनि श्रीकृष्ण की आराधना में लगे रहते थे। 

एक बार ऋतुस्नान निवृत्त होकर शनि की पत्नी पुत्र की इच्छा से उनकी सेवा में उपस्थित हुई। शनि श्रीकृष्ण के ध्यान में लीन थे। उन्होंने पत्नी की कोई बात ही नहीं सुनी। पत्नी की प्रार्थना व्यर्थ हो गयी। इससे पत्नी को क्रोध आ गया और पति को शाप दे दिया कि "आप आँखें नीचे किए बैठे हैं, अपनी पत्नी की बात ही नहीं सुन रहे| अतः आज से आपकी दृष्टि नीची ही रहेगी और जिस पर आपकी दृष्टि पड़ जाएगी, वह नष्ट हो जायेगा।"

क्रोध शांत होने पर पत्नी को बहुत पश्चाताप हुआ, लेकिन शनि को शाप लग चुका था। इसी घटना के पश्चात् शनि की दृष्टि हमेशा के लिए अधोमुख (नीची) हो गई। जिस पर उनकी दृष्टि पड़ जाती है, उसे हानि ही होती है।

शनि के शुभ प्रभाव-

जब हम पिछले जन्म में काफी अच्छे कार्य और शिव भक्ति करते हुए शरीर त्यागते हैं और उस जन्म में हमें इसका लाभ नहीं होता, तो शनि इस जन्म में हमारी जन्म पत्रिका में शुभ स्थानों, भाव में शुभ ग्रहों के साथ स्थापित होते हैं अर्थात् हमारे घर (जन्म पत्रिका) में शुभ स्थान में बैठकर शुभाशुभ करते हैं ।

विशेष- यदि शनि लाभकारी और शुभ करने वाला हो, तो कभी किसी के साथ अन्याय न करें। द्वेष भावना, दुर्भावना, छल कपट, बेईमानी, मुफ्तखोरी से बचें। सबका भला करें कल्याण की भावना रखें। शिव मंदिरों की देख-रेख करें, इससे प्रबल सफलता मिलती है।
 

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