 Published By:धर्म पुराण डेस्क
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15 जनवरी को मकर संक्रांति है। यह त्योहार भारत के कई राज्यों में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। कहा जाता है कि इस दिन से सूर्य देव शनि की राशि मकर में प्रवेश करते हैं। यही कारण है कि इस पर्व पर मुख्य रूप से सूर्य देव की पूजा की जाती है।
बहुत कम लोग जानते हैं कि मकर संक्रांति का पर्व क्यों मनाया जाता है। आइए इसके बारे में जानते हैं।
मकर संक्रांति के उत्सव के पीछे विभिन्न मिथकों का वर्णन किया गया है। इसके पीछे की कहानी मां गंगा के पुत्र राजा भगीरथ और राजा सगर से जुड़ी बताई जाती है।
कहा जाता है कि एक बार कपिल मुनि पर देवराज इंद्र का घोड़ा चुराने का झूठा आरोप लगाया गया था। इस प्रकार क्रोधित होकर कपिल मुनि ने राजा सगर के 60 हजार पुत्रों को श्राप दे दिया, जिसके बाद वे जलकर भस्म हो गए। माफी मांगने पर कपिल मुनि ने उन्हें एक ही उपाय सुझाया कि वे किसी तरह मां गंगा को धरती पर ला सकें।
इसके बाद राजा सगर के पौत्र अंशुमान और राजा भगीरथ ने घोर तपस्या की जिससे मां गंगा प्रसन्न हुईं। ऐसा माना जाता है कि मकर संक्रांति उस दिन मनाई जाती है जब राजा सगर के 60 हजार पुत्रों ने मोक्ष प्राप्त किया था।
क्यों किया जाता है स्नान?
मकर संक्रांति के दिन गंगा में स्नान करना बहुत ही शुभ माना जाता है। इसके पीछे भी एक पौराणिक कथा है। कहा जाता है कि मकर संक्रांति के दिन नदियों में स्नान करना शुभ होता है। ऐसा भी कहा जाता है, कि इस दिन नदी में डुबकी लगाने से सारे पाप भी धुल जाते हैं। मकर संक्रांति के दिन देशभर की नदियों में डुबकी लगाई जाती है।
 
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