Published By:धर्म पुराण डेस्क

28 फरवरी 2024 (बुधवार) - द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी: भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने का अवसर

द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो माघ महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। यह 28 फरवरी 2024 (बुधवार) को पड़ रहा है। यह व्रत भगवान गणेश को समर्पित है और इसे भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने का अवसर माना जाता है।

द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का महत्व:

भगवान गणेश की कृपा: द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत रखने से भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है।

मनोकामनाएं पूर्ण: द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत रखने से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

पापों से मुक्ति: द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत रखने से भक्तों को पापों से मुक्ति प्राप्त होती है।

मोक्ष प्राप्ति: द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत रखने से भक्तों को मोक्ष प्राप्ति की संभावना बढ़ जाती है।

द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत विधि:

स्नान: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।

पूजा: भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।

आचमन: गंगाजल या शुद्ध जल से आचमन करें।

आवाहन: भगवान गणेश का आवाहन करें।

षोडशोपचार पूजा: षोडशोपचार पूजा करें। इसमें षोडशोपचार अर्पित किए जाते हैं, जैसे कि चंदन, पुष्प, फल, मिठाई, दीप आदि।

आरती: भगवान गणेश की आरती करें।

प्रसाद: प्रसाद वितरण करें।

व्रत: इस दिन व्रत रखने का भी विधान है। व्रत में फलाहार करें।

दान: दान-पुण्य करें।

द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत के लाभ:

भगवान गणेश की कृपा: भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है।

मनोकामनाएं पूर्ण: भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

पापों से मुक्ति: भक्तों को पापों से मुक्ति प्राप्त होती है।

मोक्ष प्राप्ति: मोक्ष प्राप्ति की संभावना बढ़ जाती है।

निष्कर्ष:

द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी एक महत्वपूर्ण व्रत है जो भगवान गणेश को समर्पित है। इस दिन व्रत और पूजा करने से भक्तों को भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है, उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, पापों से मुक्ति प्राप्त होती है और मोक्ष प्राप्ति की संभावना बढ़ जाती है।

यह भी ध्यान दें:

द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत रखने से पहले अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें। यदि आप किसी बीमारी से ग्रस्त हैं, तो व्रत रखने से पहले डॉक्टर से सलाह लें।

व्रत के दौरान किसी भी प्रकार का झूठ न बोलें, किसी को कष्ट न दें और नकारात्मक विचारों से दूर रहें।

व्रत का पारण विधि-विधान से करें।

आशा है कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी होगी।

अतिरिक्त जानकारी:

आप इस त्योहार के बारे में अधिक जानकारी के लिए इंटरनेट पर खोज कर सकते हैं।

आप इस त्योहार के बारे में अपने पंडित या गुरु से भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.

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