आचार्यों की सलाह:
आचार्यों ने भक्ति के विषय में सेवा के लिए महत्वपूर्ण निर्देश दिए हैं। भक्ति मार्ग पर चलने वाले को इन्द्रिय-भोग और सांसारिक बाधाओं का त्याग करने की सलाह दी गई है।
चिंतन का महत्व:
भक्ति को प्राप्त करने के लिए दिन-रात भक्ति के विषय में चिंतन करना आवश्यक है। भक्ति के प्रति समर्पित विचारों को ही स्वीकार करना चाहिए।
सत्संग का महत्व:
भक्ति को विकसित करने के लिए सत्संग का महत्वपूर्ण योगदान होता है। ईश्वर के कीर्तन और चर्चा में सामाजिक समृद्धि होती है और भक्ति का प्रभाव भी बढ़ता है।
महात्मा का साथ:
भक्ति के मुख्य कारण महान् आत्मा की कृपा होती है और महात्मा के संग से ही आत्मा का उद्धार होता है। महात्मा की संगति पाना कठिन होता है, लेकिन इससे आत्मा को मोक्ष मिलता है।
इन निर्देशों का पालन करके भक्ति मार्ग पर चलने वाला अपने आत्मा को प्रशांति, संतोष, और सच्चे प्रेम के साथ परिपूर्ण महसूस करता है।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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