 Published By:धर्म पुराण डेस्क
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हिंदू धर्म के वेदों की 28,000 पांडुलिपियां मान्यता हैं। वेद सबसे प्राचीन हिंदू ग्रंथ हैं और मानव सभ्यता के सबसे प्राचीन लिखित साहित्यिक धरोहर माने जाते हैं। इन पांडुलिपियों को आज भी पुणे के भंडार ग्रह ओरिएंटल रिसर्च संस्था में संग्रहीत किया जा रहा है। वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी ऋग्वेद को विश्व विरासत में स्थान दिया है।
हिंदू धर्म में वेदों को सबसे महत्वपूर्ण ग्रंथ माना जाता है और इन्हें तीन भागों में विभाजित किया गया है।
1. पहला भाग है 'संहिता' या 'मंत्र'। इसमें वेदों के मंत्र संग्रहित होते हैं।
2. दूसरा भाग है 'ब्राह्मण' जिसमें यज्ञ-यागादि कर्मकांड की विधियां और व्याख्यान होते हैं।
3. तीसरा भाग है 'आरण्यक' जिसमें चिंतन और उपासना विधि प्रस्तुत की जाती है।
4. चौथा भाग है 'उपनिषद' जिसमें तत्वज्ञान और ब्रह्मज्ञान प्रस्तुत किया गया है। इनमें वेदान्त विचारों की प्रमुख विधा है।
उपनिषदों की कुल संख्या 1,179 है और इसमें से 108 उपनिषद महत्वपूर्ण माने जाते हैं। भगवान आदि शंकराचार्य ने 11 उपनिषदों के भाष्य लिखे हैं और वे प्रमुख माने जाते हैं। यह अज्ञात है कि वेदों और उपनिषदों के रचयिता कौन थे।
हिंदू धर्म के तीन महत्वपूर्ण आधार ग्रंथ हैं - उपनिषद, गीता और ब्रह्मसूत्र। इन्हें प्रस्थान त्रयी कहा जाता है। उपनिषदों का अध्ययन जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और यह ज्ञान आपकी सोच और जीवन को संगठित करने में मदद करता है।
आजकल उपनिषदों का अध्ययन कम हो रहा है, लेकिन हमें यह ध्यान देना चाहिए कि हमारे पूर्वजों ने हमें इस महत्वपूर्ण ज्ञान को संजोए हैं और हमें उनके शास्त्रों के प्रति कृतज्ञ होना चाहिए। इसलिए हमें इस ज्ञान का निरंतर अध्ययन जारी रखना चाहिए।
वेदों और उपनिषदों का अध्ययन हमें ज्ञान में वृद्धि करता है और हमें सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है, जो हर मुश्किल में हमारे लिए अमृत की तरह काम करती है।
 
                                मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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