यद्यपि पास-पड़ोस में चीनी लोग नहीं रहते थे, फिर भी उसे चीनी शब्दों का ज्ञान था और उसे चीनियों की तरह अपनी उंगलियों से खाना पसंद था। वह कभी-कभी कहती थी कि 'उसे अपनी वर्तमान माँ की अपेक्षा चीनी माँ से अधिक प्यार है।'
पूर्व जन्म की उसकी माँ ने जब यह सुना तो वह उस लड़की से मिलने के लिये उसके गाँव में आयी। मुख्य सड़क पर वह कुछ हिचकते हुए खड़ी हो गयी; क्योंकि उसे उस लड़की के मकान की स्थिति नहीं मालूम थी। उधर लड़की स्कूल जा रही थी। लड़की ने उसे देखते ही पहचान लिया। वह 'माँ माँ' चिल्लाती हुई दौड़कर उससे लिपट गयी और उसे अपने घर ले गयी।
बाद में उस लड़की को उस जगह ले जाया गया, जहाँ वह पिछले जन्म में रहा करती थी। उस जगह को उसने अपने वर्तमान जीवन में कभी नहीं देखा था। उसके वर्तमान माता-पिता ने भी उस जगह को नहीं देखा था। फिर भी वह अपने 'पुराने' घर का रास्ता पहचानती हुई वहाँ पहुँच गयी।
वहाँ उसकी परीक्षा ली गयी । उसका चीनी पिता लगभग 50 आदमियों (जिसमें कुछ आदमी चीन के तथा कुछ स्याम के थे) के साथ एक हाल में खड़ा हो गया। उसकी पीठ दरवाजे की ओर थी। जैसे ही लड़की हाल में घुसी, उसने अपने पिता को पहचान लिया और उसे देखकर बहुत प्रसन्न हुई। पहले तो चीनी पिता ने उसे संदेह की दृष्टि से देखा, बाद में उसे विश्वास हो गया कि वह उसकी मृत लड़की ही है, जिसने दोबारा जन्म लिया है।
लड़की को बहुत-सी चीजें दिखायी गयी। उनमें से उसने अपनी चीजें पहचान लीं। उसने अपनी उन चीजों को भी देखना चाहा, जो वहाँ नहीं थी। प्रारम्भ से ही वह इस प्रकार का व्यवहार कर रही थी, मानो | इस स्थान से वह परिचित हो । उसने स्वयं ही बिना किसी की सहायता के अपना घर ढूंढ लिया था।
पुनर्जन्म लेने वाले दूसरे व्यक्तियों की तरह इस लड़की को भी मृत्यु और पुनर्जन्म की अवस्थाओं के बीच की स्थिति की स्मृति थी। उसने बताया कि 'मृत्यु के बाद ही वह दूसरी चीनी लड़की (जो उसकी मित्र थी)-से मिली और कुछ देर तक साथ-साथ घूमती रही।
पूछताछ करने पर पता चला कि 'वह दूसरी लड़की भी उसी दिन मरी थी, जिस दिन यह लड़की मरी थी। दोनों की मृत्यु छूत की एक बीमारी के फैलने से हुई थी।' इस बात से उस लड़की की बतायी हुई सारी घटनाओं की भली प्रकार पुष्टि हो गयी ।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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