Published By:धर्म पुराण डेस्क

वेदांत दर्शन के अनुसार, मनुष्य जन्म का परम लक्ष्य मोक्ष की प्राप्ति है।                                        

मोक्ष यहाँ पर आत्मा की मुक्ति और परमात्मा के साथ एकीकृति का स्थिति को संकेत करता है। इसे सांसारिक बंधनों से मुक्त होना भी कहा जाता है।

वेदांत में मोक्ष की प्राप्ति के लिए अनेक मार्गों का वर्णन किया गया है, जो व्यक्ति को अपनी अंतरात्मा के साक्षात्कार की दिशा में मार्गदर्शन करते हैं। कुछ मुख्य मार्गों में योग, भक्ति, कर्म, और ज्ञान शामिल हैं।

योग: योग के माध्यम से आत्मा को शुद्धि और एकाग्रता की स्थिति में ले जाने का प्रयास किया जाता है। प्राणायाम, आसन, और ध्यान इस मार्ग के अंतर्गत आते हैं।

भक्ति: भक्ति मार्ग में भगवान की प्रेम और समर्पण के माध्यम से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस मार्ग में देवी-देवताओं की पूजा, कीर्तन, और सेवा शामिल होती है।

कर्म: कर्म मार्ग में कर्मों को योग्यता और निष्काम भाव से करने का प्रयास किया जाता है। कर्मयोगी कर्मों के माध्यम से अपने को मुक्ति की दिशा में ले जाने का प्रयास करता है।

ज्ञान: ज्ञान मार्ग में आत्मा का साक्षात्कार और ब्रह्म ज्ञान की प्राप्ति के लिए वेदों शास्त्रों का अध्ययन और तत्वज्ञान का अभ्यास किया जाता है।

वेदों में यह भी बताया जाता है कि मोक्ष की प्राप्ति के लिए व्यक्ति को अहम् (अहंकार) और मम (ममकार) को छोड़कर अपने असली स्वरूप में विचरण करना चाहिए। अहम् और मम की अभिमानता को त्याग कर आत्मा को ब्रह्म से एक करना मोक्ष की दिशा में मुख्य है।

इस प्रकार, वेदांत के अनुसार मनुष्य जन्म का परम लक्ष्य मोक्ष है और इसे प्राप्त करने के लिए विभिन्न मार्ग हैं, जो व्यक्ति की प्राथमिकता और अभिवृद्धि के साथ चयन किए जा सकते हैं।

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