Published By:धर्म पुराण डेस्क

आमलकी एकादशी: जानिए क्यों की जाती है आंवले के पेड़ की पूजा? क्या है सुफल?

हिंदू कैलेंडर के अनुसार प्रत्येक माह में दो एकादशी व्रत होते हैं। फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आमलकी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस बार आमलकी एकादशी का व्रत 03 मार्च 2023 को रखा जा रहा है। वैसे तो हिंदू धर्म के अनुसार सभी एकादशियों का काफी महत्व है, लेकिन इन सब में आमलकी एकादशी को सर्वोत्तम स्थान पर रखा गया है। 

आमलकी एकादशी के दिन जगत के पालनहार श्री हरि विष्णु और आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि आंवले का पेड़ भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है। आमलकी एकादशी को कुछ लोग आंवला एकादशी या आमली ग्यारस भी कहते हैं। इसे रंगभरी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। 

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार आंवले के पेड़ को भगवान विष्णु ने ही जन्म दिया था। मान्यता है कि इस पेड़ के हर एक भाग में ईश्वर का वास है। आमलकी एकादशी के दिन आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर भगवान विष्णु का पूजन करने से वो बेहद प्रसन्न होते हैं। इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर नारायण की पूजा करने से एक हजार गौ दान के समान पुण्य की प्राप्ति होती है।

कहा जाता है कि आमलकी एकादशी के दिन आंवले का उबटन लगाना चाहिए और आंवले के जल से ही स्नान करना चाहिए। साथ ही इस दिन आंवले की पूजा करनी चाहिए। इसके अलावा इस दिन आंवला दान करने और खाने की भी सलाह दी जाती है।


 

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