नाग पंचमी पर अद्भुत संयोग का उपयोग करके सर्प देवता को प्रसन्न करने के लिए आप कुछ मंत्रों का प्रयोग कर सकते हैं। ये मंत्र सर्प देवता की कृपा प्राप्त करने और नाग दोष से मुक्ति प्राप्त करने में सहायता कर सकते हैं।
नीचे दिए गए हैं कुछ मंत्र जिन्हें आप जप कर सकते हैं:
"ॐ नागाय नमः" (Om Nagaya Namah) यह मंत्र सर्प देवता को प्रणाम करने के लिए उच्चारित किया जाता है।
"ॐ कालसर्पाय नमः" (Om Kalsarpaya Namah) यह मंत्र कालसर्प दोष से मुक्ति प्राप्त करने के लिए जपा जाता है।
"सर्प सर्प महासर्प, भक्षित भक्षित महाभुजा। नागानां पतये विषं, त्राहि मां भूतलोकगम॥" (Sarpa Sarpa Mahasarpa, Bhakshit Bhakshit Mahabhujah Naganam Pataye Visham, Trahi Mam Bhutalokagam) इस मंत्र के जप से सर्प देवता की कृपा प्राप्त हो सकती है और नाग दोष से बचाव हो सकता है।
आप इन मंत्रों को अपने मन से एकांत में या माला के साथ जप कर सकते हैं। सर्प देवता को समर्पित होकर उनकी कृपा के लिए प्रार्थना करें और उनके आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए निष्ठा और श्रद्धा के साथ अपना व्रत पूरा करें।
नाग पंचमी इन मंत्रों का करें जाप:
1. ऊँ गिरी नमः
2. ऊँ भूधर नमः
3. ऊँ व्याल नमः
4. ऊँ काकोदर नमः
5. ऊँ सारंग नमः
6. ऊँ भुजंग नमः
श्रद्धा और विश्वास के साथ, नाग पंचमी पर आप ऊपर दिए गए मंत्रों का जाप कर सकते हैं। आपको इन मंत्रों को एकांत में या माला के साथ जप करना चाहिए। नाग पंचमी पर सर्प देवता की कृपा प्राप्त करने के लिए इन मंत्रों का नियमित जप करें।
जप के समय, ध्यान रखें कि आप शुद्ध मन स्थिति में हों और पूर्ण आस्था और भक्ति के साथ मंत्रों का जप करें। साथ ही, आप नाग पंचमी के दिन सर्प देवता की पूजा और अर्चना करने के लिए विशेष रूप से समय निकालें।
नाग पंचमी के दिन इन नागों की पूजा की जाती है:
1. अनन्त,
2. वासुकि,
3. शेष,
4. पद्म,
5. कम्बल,
6. कर्कोटक,
7. अश्वतर,
8. धृतराष्ट्र,
9. शड्खपाल,
10. कालिया,
11. तक्षक,
12. पिड्गल,
नाग पंचमी के दिन, इन बारह नागों की पूजा करके आप सर्प देवता को प्रसन्न कर सकते हैं। आप इन नागों की मूर्ति, तस्वीर या प्रतिमा को पूजा स्थल पर स्थापित करके पूजा कर सकते हैं। उन्हें सभी पूजा सामग्री और अपनी आस्था के साथ पूजा करें।
इसके साथ ही, नाग पंचमी के दिन नाग देवता के ध्यान मंत्रों का जाप और सर्प मंत्रों का पाठ भी कर सकते हैं। इससे सर्प देवता की कृपा प्राप्त होती है और उनका आशीर्वाद मिलता है। आप इस पूजा और अर्चना को अपने आध्यात्मिक और सामाजिक संदर्भों के अनुसार आचार्य या पंडित की मार्गदर्शन में कर सकते हैं।
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