प्रतिदिन या फिर शनिवार को खेजड़ी की पूजा कर, उसे सींचने से रोगी को दवा लगनी शुरू हो जाती है। प्रतिदिन सींचें, तो एक मास तक और शनिवार को सींचें, तो 7 शनिवार तक यह कार्य करें। खेजड़ी के नीचे गूगल का धूप और तेल का दीपक जलाएं।
• अगर छोटा बालक बीमार हो, तो उसके वजन के बराबर बाजरा ले। उसमें से 7 मुट्ठी बाजरा, प्रतिदिन बालक पर से एक बार वार कर, छोटी-छोटी चिड़ियों को सूर्योदय से पहले डालें। आराम मिलेगा।
• साबुत मसूर, काले उड़द, मूंग, ज्वार (चारों को) बराबर लेकर साफ करके मिला लें। कुल वजन एक किलो हो। इसको रोगी पर से 7 बार वार दें। फिर उनको एक साथ पकाएं। जब चारों अनाज पूरे पक जाए, तब उसमें तेल-गुड़ मिलाकर, किसी मिट्टी के दीपक में डालकर दोपहर को, जहां 4 रास्ते मिलते हों, वहां रखें। उसके साथ तेल भरा मिट्टी का दिया और अगरबत्ती जलाएं। फिर पानी से उसके चारों ओर घेरा बना दें। पीछे मुड़कर न देखें। घर आकर पांव धो लें रोगी ठीक होना शुरू हो जाएगा।
• एक नारियल का गोला लें। उसमें चाकू से चौकोर एक छोटा टुकड़ा काटे फिर छेद में मावा और शक्कर भर कर उस टुकड़े को वापस गोले पर लगाएं। ऊपर से गीला आटा लगा कर बंद कर दें। फिर शनिवार को प्रातः सूर्योदय के समय, जंगल में जाकर एक बालिश्त गड्ढा खोद कर उस गोले को गाड़ दें। रोगी ठीक हो जाएगा।
• शुक्ल पक्ष में शनि पुष्य योग में असली काले घोड़े की नाल का छल्ला बना कर अपने दाहिने हाथ की कनिष्ठिका अंगुली में पहनने में पथरी का रोग समाप्त हो जाता है। भिन्न-भिन्न प्रकार के रोगों से मुक्ति पाने के लिए निम्न मंत्र का प्रयोग करें: ॐ नमो परमात्मने पारब्रह्म मम शरीर, पाहि पाहि कुरु कुरु स्वाहा। इस मंत्र को गंगा जल पर 108 बार पढ़े और व्यक्ति को पिला दें। शीघ्र ही स्वास्थ्य लाभ होगा।
• किसी भी रवि पुष्य योग के समय काले घोड़े की नाल लाकर, उसकी अंगूठी, या कड़ा बनाकर, रोगी को पहना देने पर उसे जीवन में कभी लकवे का प्रकोप पुनः नहीं होगा।
• एक थाली में स्वास्तिक चिन्ह केसर से बनाएं। इसके बाद सरस्वती की वंदना करें। उस पर केसर जगाएं और नैवेद्य चढावें। फिर सामने दीपक जला कर हाथ जोड़कर, सरस्वती को श्रद्धा पूर्वक प्रणाम करें। इसके बाद स्फटिक की माला से सरस्वती मंत्र का जाप करें। मंत्र इस प्रकार है: ॐ ऐं सरस्वर्त्य नमः। इसके बाद उस थाली में गंगाजल मिलाकर पी लें। ऐसा करने पर बुद्धि का विकास होता है तथा शिक्षा के क्षेत्र में पूर्ण उन्नति होती है।
• यदि लगे कि शरीर में कष्ट समाप्त नहीं हो रहा है, तो थोड़ा-सा गंगाजल नहाने वाली बाल्टी में डालकर नहाए। मिर्गी के रोगी को ठीक करने हेतु गधे के नाखून की अंगूठी बनवाकर पहनानी चाहिए। इससे मिर्गी का दौरा पड़ने की बीमारी सदा के लिए दूर हो जाती है।
• रुद्राक्ष की तरह 'रीठा' के 108 दानों की माला पहनाने से बच्चों के दांत आसानी से एवं जल्दी निकलते हैं।
• 'राई' के दाने पीसकर बच्चे को खिलाने से बच्चा बिस्तर पर मूत्र नहीं करता है।
• बच्चे को उसी का ही मूत्र पिलाने से अफारा दूर होता है। बकरी/बकरे की मींगनी बच्चे या बड़े को पानी के साथ खिलाने से भी अफारा दूर होता है।
• काले कौवे की बिष्ठा को रविवार के दिन काले कपड़े की पोटली में बांधकर, काले धागे में पिरोकर, बच्चे के गले में पहनाने से बच्चे का सिर का काग गिरना बंद हो जाता है तथा खांसी भी ठीक हो जाती है।
• झाड़ू को चूल्हे / गैस की आग में जलाकर चूल्हे/ गैस की तरफ पीठ करके बच्चे की माता इस जलती झाडू को 7 बार इस तरह स्पर्श कराए कि आग की सेंक बच्चे को न लगे। 7 बार झाड़ू से बच्चे को स्पर्श कराकर उसकी माता झाडू को, अपनी टांगों के बीच से निकाल कर, बिना देखे ही, चूल्हे की तरफ फेंक दे। कुछ समय तक झाडू वहीं पड़ी रहने दें। बच्चे को लगी नजर दूर हो जाएगी। और अक्सर कुंवारी लड़कियों कुछ विवाहित स्त्रियों को मासिक
आने से कई दिन पहले ही पेडू नाभी
में नीचे में भयंकर दर्द शुरू हो जाता है। इसके लिए (मृज) सरकड़ की रस्सी बना कर या बाजार में लेकर उसमें 7 गांठे लगाकर अपनी कमर में लड़की या स्त्री 3-4 रात तक बाधा करें और रात को पहनी रस्सी सुबह प्रतिदिन चौराहे में गिराया करें, तो 'पेड़' का दर्द दूर होता है तथा 3-4 मास तक ऐसा करने से, पीड़ा शात होकर, माहवारी पीड़ा रहित हो जाती है।
नमक की डली, काला कोयला, डंडी वाली 7 लाल मिर्च, राई के दाने, फिटकरी की डली को, बच्चे या बड़े से 7 बार उतारकर, आग में डालने से सबकी नजर दूर हो जाती है। फिटकरी की डली को 7 बार बच्चे / बड़े / पशु पर से 7 वार उतार कर आग में डालने से नजर लगाने वाले बच्चे बड़े और पशु स्त्री/पुरुष की धुंधली-सी शक्ल भी फिटकरी की डली पर बन जाती है।
तेल की बत्ती जलाकर 7 बार बच्चे / बड़े पशु पर उतार कर दोहाई बोलते हुए दीवार पर चिपका दें। यदि नजर लगी होगी, तो तेल की बत्ती भभक-भभक कर जलेगी। नजर लगी न होने पर शांत हो कर जलेगी।
-पंडित अविनाश शर्मा (ज्योतिष वास्तु-कुंडली व रत्न विशेषज्ञ)
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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