 Published By:दिनेश मालवीय
 Published By:दिनेश मालवीय
					 
					
                    
सनातन धर्म की छवि खराब करने और युवाओं को इससे विमुख करने के लिए अनेक तरह के दुष्प्रचार किये जा रहे हैं. अनेक बातों को तोड़-मरोड़कर और संदर्भ से हटकर बताया जा रहा है. इसका मकसद सनातन धर्म की नयी पीढ़ी को गुमराह कर उन्हें अपनी सांस्कृतिक जड़ों से काटना है. भारत की संस्कृति अभी तक इसीलिए सुरक्षित है,क्योंकि यहाँ के लोगों की जड़ें इसमें हैं. जिस भी देश के लोग अपनी संस्कृति से कट जाते हैं, वे नष्ट हो जाते हैं. हम एक बहुत इम्पोर्टेन्ट सब्जेक्ट लेकर आये हैं. सनातन धर्म के खिलाफ यह प्रचारित किया जा रहा है कि, इसमें हिंसा को बढ़ावा दिया गया है. इस धर्म के सभी देवी-देवताओं के हाथ में हथियार होते हैं.
लेकिन यह प्रचार कितना एकांगी है, इस बात को इस छोटे से तथ्य से समझा जा सकता है कि, सनातन धर्म के देवी-देवताओं के चार या आठ हाथ होते हैं. इनमें से हतियार सिर्फ एक ही हाथ में होता है. बाक़ी हाथों में शास्त्र, कमल, शंख, माला आदि होते हैं, जो शान्ति के प्रतीक हैं. इसी प्रकार उनका एक हाथ हमेशा अभय या आशीर्वाद की मुद्रा में होता है. हम इस बात को समझते हैं कि, देवी-देवताओं के हाथ में हथियार क्यों होते हैं. ऐसा इसलिए है कि, शास्त्र यानी ज्ञान, शान्ति, सद्भाव और अन्य श्रेष्ठ चीजों कि दुष्टों से रक्षा सिर्फ शक्ति से ही की जा सकती है.
उनके हाथ में हथियार शक्ति और इसी भाव के प्रतीक हैं. संसार में जो भी चीज श्रेष्ठ है, दुष्ट लोग उसे नष्ट करने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं. कोई भी समाज सिर्फ ज्ञान, शान्ति, अहिंसा आदि के आदर्श लेकर दुष्टों से सुरक्षित नहीं रह सकता. कोई कितना भी ज्ञानी या सदाचारी हो, दुष्ट लोगों के मन में उसके प्रति कोई कोमल भाव कभी नहीं होता. वह इन सब चीजों को उसकी कमज़ोरी मानता है. यह सब अनादिकाल से होता चला आ रहा है. आसुरी शक्तियाँ हमेशा देवीय शक्तियों को दबाने और ख़त्म करने की कोशिश में लगी रहती हैं. इसके उदाहरण हमारे शास्त्रों में भरे पड़े हैं. यह प्रवृत्ति कभी कम नहीं होती. आदि शंकराचार्य ने जब आध्यात्मिक साधना के लिए दस सम्प्रदायों की स्थापना कि, तो एक सम्प्रदाय नागा भी बनाया.
नागा साधुओं का काम यह सुनिश्चित करना था कि, शेष सभी नौ सम्प्रदाय के लोगों की साधना में कोई आसुरी शक्ति विघ्न पैदा नहीं कर सके. उन्हें बाकायदा एक सेना का रूप देकर अस्त्र-शस्त्र चलाने के प्रशिक्षण की व्यवस्था की गयी. जो लोग नागा सम्प्रदाय के बारे में जानकारी रखते हैं, उन्हें पता है कि उनके विधिवत सैनिक पद होते हैं. सेनापति, कोतबाल आदि अनेक पद होते हैं. उनका अनुशासन बिलकुल किसी संगठित सेना की तरह होता है. नागाओं ने अयोध्या में रामजन्म भूमि को मुक्त कराने के लिए अनेक लड़ाइयाँ लड़ी. इनमें हज़ारों नागाओं ने लड़ते हुए जीवन को बलिदान कर दिया.
जब भी ऐसा समय आया कि हम या कोई अन्य देश या संस्कृति सिर्फ एकांगी हुयी, तभी उस पर नष्ट होने का ख़तरा मंडरा गया. हमारे देश में भी एक कालखंड में ऐसा ही हुआ. हमें अहिंसा के नाम पर इस तरह पंगु बना दिया गया कि, हम लड़ना ही भूल गए. हम अपने देवी-देवताओं और अवतारों के उस आदर्श को भी भूल गये कि, सत्य और ज्ञान की रक्षा के लिए शस्त्र का पूरा ज्ञान होना ज़रूरी है. अहिंसा का सही अर्थ समझे बिना हम हथियार चलाना पूरी तरह भूल गए. इसका नतीजा वही हुआ, जो होना ही चाहिए था. छोटी-छोटी सेनाएं लेकर बाहरी लोग आकर हमें लूटते-खसोटते रहे और हमें अपनी ही धरती पर गुलाम बनाते गए.
हम न जाने कैसे श्रीमद्भगवतगीता के सन्देश को भूल गए. हालत यहाँ तक आ पहुची कि, महाभारत के एक महान श्लोक को भी तोड़-मरोड़ कर पेश कर दिया गया. यह श्लोक है- अहिंसा परमो धर्म: धर्म हिंसा तथैवच इसका अर्थ है, अहिंसा परम धर्म है,और धर्म की रक्षा के लिए हिंसा करनी पड़े, तो यह हिन्सा उससे भी बड़ा धर्म है. लेकिन इसकी सिर्फ एक अर्धाली को बताकर दूसरी अर्धाली को नहीं बताया गया. सिर्फ इतना बताया गया कि, अहिंसा परम धर्म है. इसके अलावा अहिंसा की इस तरह व्याख्या की गयी कि, उसके अर्थ का अनर्थ ही हो गया. इसका अर्थ ऐसा कर दिया गया कि, कुछ भी हो जाए, किसीके साथ हिंसा करना ही नहीं है. कोई आपके घर आकर आपका सबकुछ लूटकर ले जाए, तो यह कहकर संतोष करना है कि, हमारा क्या ले गया? हम न कुछ लेकर आये थे और न कुछ लेकर जाएँगे. जब देश को आजादी मिलने की संभावना पूरी तरह बन गयी, तब किसी पत्रकार ने उनसे पूछा था कि, आज़ाद देश में भारत की सेना की क्या भूमिका होगी?
उन्होंने कहा कि हमारी कोई सेना नहीं होगी. हमारे सैनिक खेती और अन्य उत्पादक कार्य में लगेंगे. लेकिन आज़ादी के बाद कश्मीर पर जब कबाइली हमला हुआ, तो गांधीजी को ही सेना भेजने की अनुमति देनी पड़ी थी. उन्हें समझ आ गया था कि, देश आदर्शवादी सिद्धांतों पर नहीं, व्यवहारिक सिद्धांतों से चलता है. आज भारत के विरुद्ध जो शत्रु ताक़तें एकजुट हो रही हैं, उनकी नज़र में शान्ति, अहिंसा आदि कायरता है. उनकी क्रूर शक्ति को वीरता से ही दबाना होगा. इस तरह सनातन धर्म और उसके दर्शन को बदनाम करने के लिए हमारे देवी-देवताओं को हिंसक बताने वालों की बातों से बिल्कुल गुमराह नहीं हों. यही आज का युगधर्म है.
 
                                मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
February 24, 2024 
                                यदि आपके घर में पैसों की बरकत नहीं है, तो आप गरुड़...
February 17, 2024 
                                लाल किताब के उपायों को अपनाकर आप अपने जीवन में सका...
February 17, 2024 
                                संस्कृति स्वाभिमान और वैदिक सत्य की पुनर्प्रतिष्ठा...
February 12, 2024 
                                आपकी सेवा भगवान को संतुष्ट करती है
February 7, 2024 
                                योगानंद जी कहते हैं कि हमें ईश्वर की खोज में लगे र...
February 7, 2024 
                                भक्ति को प्राप्त करने के लिए दिन-रात भक्ति के विषय...
February 6, 2024 
                                कथावाचक चित्रलेखा जी से जानते हैं कि अगर जीवन में...
February 3, 2024 
                                
                                 
                                
                                 
                                
                                 
                                
                                 
                                
                                