क्या आप अनिद्रा और बुरे सपनों से परेशान हैं, तो मत सोइए दक्षिण दिशा में पैर करके- जानिए, क्या विज्ञान है पूर्वजों के बनाए नियमों का--------दिनेश मालवीय
आज के दौर में अनिद्रा विश्व भर में एक बड़ी बीमारी बन कर सामने आई है, जो अनेक बीमारिया की जनक भी है. इसके लिए हम डॉक्टरों और दवाओं का सहारा लेते हैं, मदिरा आदि का नशा करते हैं, फिर भी स्थायी और हानिरहित परिणाम नहीं मिलते. इससे बचा जा सकता है.
हमारे पूर्वजों ने अपने अनुभवों और शोध कार्यों के आधार पर जीवन के छोटे से छोटे पक्ष को लेकर कुछ ऐसे नियम निर्धारित किए हैं, जो बहुत उपयोगी है. दुर्भाग्य वश हम कथित आधुनिकता की झोंक में इनके पीछे के विज्ञान को समझे बिना इन नियमों की न केवल अवहेलना करते हैं, बल्कि उनकी खिल्ली उड़ाने से भी नहीं चूकते. हमें जीवन के इन नियमों के पीछे के तर्कों और विज्ञान को समझना चाहिए.
आइये, आज हम जानते हैं कि हमारे पूर्वजों ने सोने (निद्रा) के सम्बन्ध में क्या नियम बनाए थे. दक्षिण दिशा में पैर करके न सोएं, दक्षिण दिशा में पैर और उत्तर दिशा में सिर करके न सोने का नियम बहुत महत्वपूर्ण और तर्क सम्मत है. हमारे बुजुर्ग जब हमसे दक्षिण दिशा में पैर करके न सोने को कहते हैं, तो या तो हम उनकी अवहेलना करते हैं या फिर मनमसोसकर उनका मन रखने के लिए इस नियम का पालन करते हैं.
लेकिन इसके पीछे के विज्ञान को जानना बहुत जरूरी है. केवल मृत व्यक्ति को ही इस तरह लिटाया जाता है. यहाँ तक कि मुस्लिम लोग भी कब्र का सिरहाना उत्तर दिशा में रखते हैं. उत्तर और पश्चिम दिशा में सिर करके सोने के लिए इस कारण मना किया गया है क्योंकि पृथ्वी में चुम्बकीय ऊर्जा का बहाव उत्तर से दक्षिण की ओर होता है.
इसलिए पृथ्वी के उत्तरी ध्रुव की तरफ चुम्बकीय क्षेत्र विद्यमान रहता है.उत्तर दिशा में सिर और दक्षिण दिशा में पैर करके सोने से दिमाग सीधा उस चुम्बकीय प्रभाव में आ जाता है. इससे व्यक्ति की सूक्ष्म ऊर्जा कम होने लगती है. हालाकि यह बहुतसूक्ष्म रूप से होता है, लेकिन यदि नियमित रूप से 8-9 घंटे रोज़ाना ऐसा हो तो व्यक्ति की शक्ति, आयु, याददाश्त, सेहत और बुद्धि पर बुरा असर पड़ता है. इससे अनिद्रा, चिड़चिड़ापन, नींद टूट जाना और बुरे सपने आदि जैसी समस्याएं होती हैं. इससे शरीर को पूरा आराम नहीं मिलता. आलस्य भरा रहता है, शरीर में टूटन रहती है या सिरदर्द बना रहता है. पाचन तंत्र और ब्लड सर्कुलेशन भी बिगड़ता है. इसलिए यह कहा जाता है कि दक्षिण दिशा यमराज की है और इसमें पैर करके सोने से व्यक्ति मृत्यु की ओर जाने लगता है.
लिहाजा हमें हमेशा दक्षिण की तरफ सिर करके सोना चाहिए. उत्तर या पश्चिम की तरफ सिर करके सोने से आयु क्षीण होती है और शरीर रोगी हो जाता है. उत्तर के साथ ही पश्चिम दिशा में सिर करके सोने से भी रोग होते हैं.. इसकी वजह यह है कि पूर्व में सिर करके सोने से दिन में सूर्य की किरणों द्वारा छोड़ी जाने वाली जीवनदायक ऊर्जा को दिमाग सूक्षम रूप से ग्रहण कर पाता है.
भगवंत भास्कर ग्रन्थ के अनुसार, पूर्व दिशा में सिर करके सोने से विद्या प्राप्त होती है. दक्षिण में सिर करके सोने से धन और आयु में वृद्धि होती है. पश्चिम में सिर करके सोने से बहुत चिंता होती है. उत्तर में सिर करके सोने से हानि तथा मृत्यु होती है. यह याद रखना चाहिए की हर दिशा का अपना एक गुण होता है.
वास्तु में भी पूर्व, ईशान, उत्तर दिशा में प्रवेश द्वार वाले घर अच्छे माने गये हैं, क्योंकि उनमें उदीयमान सूर्य और सुबह की रौशनी आसानी से आती है. यह सेहत के लिए अच्छा होता है.अंधेरे, सील युक्त और हवारहित घरों को अच्छा नहीं माना जाता. इन नियमों का पालन करके देखिये. इसमें क्या हर्ज है. आप थोड़े ही दिनों में अच्छा बदलाव महसूस करने लगेंगे.
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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