 Published By:धर्म पुराण डेस्क
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अर्थराइटिस मुख्य रूप से जोड़ों (संधियों) की समस्या है। आयुर्वेद इसे वात की अधिकता के रूप में जानता है और आधुनिक चिकित्सा विज्ञान जोड़ों से सायनोवियल फ्लूइड की कमी के रूप में प्रस्तुत करता है। सामान्य रूप से गठिया के रूप में जाना जाता है।
इसकी मुख्य वजहें हैं- पहली अक्रियाशीलता, दूसरी वात युक्त भोजन की प्रधानता। बढ़ती उम्र की क्षय प्रक्रिया भी इसकी प्रमुख वजहों में है।
जोड़ों के बीच उसे सामान्य क्रम में चलाने के लिए जिस चिपचिपे पदार्थ की आवश्यकता होती है (सायनोवियल फ्लूइड) उसकी कमी, दूसरे उसमें शरीर के दूषित द्रव्यों का वहां जमा हो जाना जोड़ों में अत्यधिक पीड़ा देता है और जकड़न सी महसूस होती है। यूँ तो यह अलग-अलग वर्ग एवं अलग-अलग कारणों से कई प्रकार का होता है। जिनमें गाउट और अर्थराइटिस मुख्य हैं।
योग चिकित्सा सिद्धांत: योग जहाँ विजातीय द्रव्य को बाहर निकालने एवं सायनोवियल फ्लूइड की कमी को पूरा करने का कार्य करता है वहीं जो प्राणिक प्रवाह अवरुद्ध हो गए हैं उसे सक्रिय करने को प्रधानता देता है।
अभ्यास-
आसन: संधि संचालन के अभ्यास, उदर संचालन (पवनमुक्तासन भाग 2). शवासन 10 मिनट, सूर्य नमस्कार (यदि संभव हो तो 2-5 चक्र) शवासन 5 मिनट।
प्राणायाम: नाड़ी शोधन, भस्त्रिका।
क्रियाएँ: वमन, लघु शंख प्रक्षालन (सप्ताह में एक बार), कपालभाति (25 से 50 चक्र नियमित)।
विशेष: योग निद्रा।
आहार सम्बन्धी सलाह: दूध से बने (डेयरी प्रोडक्ट्स) न लें। शाक, सब्जी का प्रयोग अधिक करें। दिन में अधिकतम जल की मात्रा लें।
अन्य सलाह: सुबह-शाम टहलने का क्रम बनाएं।
* अप्राकृतिक और शुष्क आहार से बचें, जैसे कि चिप्स, बिस्किट्स, क्रेकर्स और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ।
* शरीर को संतुलित और पौष्टिक आहार प्रदान करने वाले प्राकृतिक खाद्य पदार्थ जैसे कि सब्जियां, फल, पूर्ण अनाज, दालें, स्वादिष्ट तेल (जैतून का तेल, नारियल का तेल, तिल का तेल), सब्जियों में सुप्त। ग्रीष्मकालीन खाद्य सामग्री (मैंगो, तरबूज, नारियल पानी, क्यूकम्बर, खरबूजा) आहार में शामिल करें।
* ज्यादा से ज्यादा हरी पत्तेदार सब्जियां और फलों का सेवन करें, जैसे कि पालक, मेथी, टमाटर, गाजर, सेब, आंवला, आदि।
* दूध, घी, मक्खन, दही, छाछ और पनीर जैसे दूध उत्पादों को मात्रमेव और गर्मी से बचकर सेवन करें।
* सुपरफूड्स जैसे कि हल्दी, मेथी, लहसुन, अमला, शंखपुष्पी, नींबू, अरंडी का तेल और अश्वगंधा का प्रयोग करें जो आर्थराइटिस के लिए उपयोगी हो सकते हैं।
* रात की नींद पूरी करें और दिनचर्या में संतुलित व्यायाम और आराम को शामिल करें।
 
                                मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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