 Published By:धर्म पुराण डेस्क
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आषाढ़ अमावस्या का आगमन हो रहा है, जो पितरों के तर्पण के लिए खास माना जाता है। यह एक पवित्र और महत्वपूर्ण दिन है जब हम पितृदोष से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं और अपने पूर्वजों की आत्माओं को शांति दे सकते हैं। इस दिन, हम कुछ विशेष कार्यों को करके अपने पितरों की सेवा कर सकते हैं। यहाँ हम आपके लिए आषाढ़ अमावस्या पर करने योग्य कुछ काम और उपायों की सूची लेकर आए हैं।
तर्पण करें: आषाढ़ अमावस्या के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठें और स्नान करें। यहाँ तक कि आपके नजदीकी पवित्र नदी में स्नान करने का भी महत्व है। इसके बाद, सूर्यदेव को अर्घ्य दें और नदी के किनारे पर ही पितरों के लिए पिंडदान या तर्पण करें। यह कार्य आपके पितरों की आत्मा को शांति और सुख प्रदान करने में मदद करेगा।
व्रत रखें: आषाढ़ अमावस्या के दिन एक व्रत रखें और पितृसूक्त का पाठ करें। इससे आप पितरों की आत्मा को शांति मिलेगी और वे प्रसन्न होकर आपको आशीर्वाद देंगे। अगले दिन, ब्राह्मणों को भोजन कराएं और कौवे, गाय और कुत्ते को भी अन्न दें। इसके बाद, व्रत का पारण करें। यह व्रत आपके पितरों के सम्मान में एक महत्वपूर्ण धार्मिक आचरण है।
दान दें: आषाढ़ अमावस्या के दिन पितरों के नाम प्रतिष्ठित दान-दक्षिणा दें। इस दिन एक गरीब व्यक्ति या ब्राह्मण को दान देने का महत्व है। इसके साथ ही, आप अपने घर में हवन करवा सकते हैं जो पितरों की आत्मा को शांति प्रदान करेगा। यह दान कार्य आपके पितरों के प्रति आपकी समर्पण भावना को प्रकट करेगा।
पीपल पेड़ पर दीप जलाएं: कहा जाता है कि आषाढ़ अमावस्या को पीपल वृक्ष के पास संध्या के समय सरसों तेल के दीपक जलाने से पितृ प्रसन्न होते हैं। दीप जलाने के साथ ही, पितरों का स्मरण करें और सात बार वृक्ष की परिक्रमा करें। यह सामरिक क्रिया आपके पितरों को आश्रय और आनंद प्रदान करेगी।
माता-पिता की सेवा करें: आषाढ़ अमावस्या के दिन, माता-पिता की सेवा करने का विशेष महत्व है। आप उन्हें समर्पित तरीके से सम्मान करें, उनकी इच्छाओं को पूरा करें और उनके प्रति प्यार और स्नेह व्यक्त करें। यह आपके पितरों की आत्मा को आनंद और संतोष प्रदान करेगा।
आषाढ़ अमावस्या पर उपरोक्त उपायों का पालन करके, हम पितरों की सेवा में योगदान कर सकते हैं और उन्हें आत्मिक शांति और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं। इस अवसर पर हमें अपने पूर्वजों का आभार व्यक्त करना चाहिए और उनके स्मरण में समर्पित रहना चाहिए।
 
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