Published By:धर्म पुराण डेस्क

ज्योतिष: वर वधु का चुनाव कैसे करें, जीवनसाथी के चुनाव से पहले रखें इन बातों का ध्यान।

लाइफ पार्टनर की खोज इतनी आसान नहीं होती लाइफ पार्टनर की खोज के लिए कुछ बातें हम आपको बता रहे हैं यह बातें ज्योतिष से जुड़ी हुई है।

लम्बी आयु का होना-

विवाह योग्य वर-वधू का चुनाव करते समय आयु का विचार अवश्य करना चाहिये। अल्पायु व्यक्ति से विवाह करना समझदारी की बात नहीं है। यदि वर-वधू दोनों अल्पायु हों या दोनों मध्यम आयु के हो तो यह उचित है। फिर भी ऐसे युगलों के संतान को उनका अभाव निश्चित रूप से खटकेगा। 

इससे संबंधित कुछ योग इस प्रकार हैं। मुख्यतः दीर्घायु योगों में उत्पन्न व्यक्ति की उम्र 70 वर्ष या इससे अधिक होती है। इससे संबंधित कुछ प्रयोग इस प्रकार हैं-

• कुण्डली के केन्द्र-स्थान पर शुभ ग्रह हो, लग्नेश शुभ ग्रह के साथ हो, उस पर गुरु की शुभ दृष्टि हो तो लंबी आयु होती है। केंद्र स्थान में गुरु और शुक्र एक साथ हो तथा केन्द्र में स्थित लग्नेश गुरु और शुक्र की दृष्टि हो तो लंबी आयु होती है। 

• उच्च राशि में स्थित ग्रह के साथ शनि या अष्टमेश हो तो लम्बी आयु होती है। 

• पाप ग्रह 3, 6, 11वें भाव में हो तथा शुभ ग्रह केन्द्र त्रिकोण में हो एवं लग्नेश बलवान हो तो लंबी आयु होती है।

 • अष्टमेश जिस भाव में हो तथा उसका स्वामी जिस राशि में हो. उस राशि का स्वामी लग्नेश के साथ केंद्र में हो तो लम्बी आयु होती है। लग्न में द्विस्वभाव राशि में हो, लग्नेश केंद्र में हो तथा वह अपनी उच्च राशि, मूल त्रिकोण राशि या मित्र राशि में हो तो लम्बी आयु होती है। द्विस्वभाव लग्न में जन्म हो तथा लग्नेश से केन्द्र में दो या अधिक पाप ग्रह हों तो लम्बी आयु होती है ।

• शुभ ग्रह 6, 7 और 8 वें भाव में हों तथा पापी ग्रह 3, 6 और 12वें भाव में हो तो लंबी आयु होती है। अगर लग्न, लग्नेश, अष्टम- अष्टमेश, तृतीये व तृतीयेश व कारक शनि बलवान हो तो व्यक्ति लम्बी आयु जीता है। 

• मध्यम आयु का होना बहुत सारे जातक की आयु मध्यम ही होती है। वे पूरा जीवन नहीं जी पाते। अतः उनकी कुंडलियों में निम्न योग हो तो आयु मध्यम होती|

• लग्नेश निर्बल हो, केंद्र या त्रिकोण में गुरु हो और 6, 8 और 12वें स्थान पर पाप ग्रह हो तो आयु मध्यम होती है। 

• शुभ ग्रह केंद्र या त्रिकोण स्थान में हो तथा बलवान शनि 6 व 8 वें स्थान में हो तो आयु मध्यम होती है।

• लग्नेश भाग्येश के साथ हो, पंचमेश पर गुरु की दृष्टि हो तथा कर्मेश केन्द्र में उच्च राशि में हो तो आयु मध्यम होती है।

• पाप ग्रह दशम स्थान में हो तथा दशमेश पंचमेश के साथ हो तो आयु मध्यम होती है।

• शनि चतुर्थ या एकादश स्थान में हो और अष्टमेश केन्द्र में हो तो आयु मध्यम होती है।

• अष्टमेश केंद्र में, मंगल लग्न में, बृहस्पति 3. 6 और 11वें स्थान में हो तो व्यक्ति की आयु 44 वर्ष की होती है।

• राशिपति पाप ग्रह के साथ अष्टम स्थान में हो, लग्नेश पाप ग्रह के साथ छठे स्थान में हो तथा बलवान हो शुभ ग्रहों की उस पर दृष्टि नहीं हो तो ऐसे व्यक्ति की 45 साल की उम्र होती है।

• लग्न में चंद्रमा वर्गोत्तम नवांश में हो, उस पर पाप ग्रहों की दृष्टि हो तथा शुभ ग्रह निर्बल हो तो व्यक्ति की आयु 48 वर्ष की होती है।

• लग्नेश अष्टम स्थान की राशि के नवांश में हो तथा अष्टमेश लग्न की राशि के नवांश में पाप ग्रह के साथ हो तो व्यक्ति की आयु 50 साल की होती है।

• लग्न में द्विस्वभाव की राशि हो, द्वादश स्थान में चन्द्रमा व शनि हो मनुष्य होती है। की आयु 52 साल की होती है।


 

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