 Published By:धर्म पुराण डेस्क
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जीवन में हम सभी खुशियों और दुखों के साथ रहते हैं, परंतु वास्तविक आनंद की खोज में हमें अक्सर असफलता मिलती है। आनंद की खोज में हम अपने बाहरी संवेदनाओं से परे आकर अपनी आत्मा को अनुभव करते हैं।
आनंद की स्थिति: ईश्वर की प्रेम भक्ति आनंद की स्थिति में हम अपनी आत्मा को पाते हैं, जो कि शांति, प्रेम, और परिपूर्णता से भरा होता है। यह आत्मानंद ईश्वर के स्वरूप का भी प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें कोई भी दुःख या चिंता का स्थान नहीं होता।
सद्गुरु की सिख: सदा सम और प्रसन्न रहना आनंद में रहने के लिए, हमें सदा समचित्त और प्रसन्न रहने का प्रयास करना चाहिए। यह एक मानसिक स्थिति है जो हमें हमारे जीवन के हर पहलू को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखने में मदद करती है।
आनंद की खोज: अंतर्निहित सत्य वास्तविक आनंद की खोज में, हम यह अनुभव करते हैं कि भगवान आनंद स्वरूप हैं, और उनकी भक्ति में ही हम आनंद पा सकते हैं। जीवन के सभी परिस्थितियों में, हमें आत्मानंद का आभास रखना चाहिए और समचित्त रहकर उन्हें पाने का प्रयास करना चाहिए।
आनंद स्वरूप ईश्वर की भक्ति में हम आत्मानंद की प्राप्ति करते हैं और हमें सदैव समचित्त और प्रसन्न रहने की कला सिखाता है। जीवन के सभी पहलू को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखकर हम आनंद से भर जाते हैं और अपने जीवन को सफलता और खुशियों से भर देते हैं।
 
                                मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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