2023 के अगस्त माह में पंचक कब है?
अगस्त में पंचक प्रारंभ तिथि बुधवार, 02 अगस्त 2023 को रात्रि 11:26 बजे है और पंचक समाप्ति तिथि सोमवार, 07 अगस्त 2023 को रात्रि 01:43 बजे है।
भारतीय ज्योतिष में एक विशेष समयावधि जिसे "पंचक" कहा जाता है, 2 अगस्त 2023 को बुधवार को शुरू हो रही है। पंचक एक पाँच दिनों का विशेष समयावधि होता है जिसमें विशेष ज्योतिषीय गतिविधियां आयोजित की जाती हैं। इस समयावधि में विशेष अशुभ ग्रह होते हैं, जिनका प्रभाव माना जाता है।
विशेषता: पंचक का समय दो तरीकों से निर्धारित किया जाता है - एक उपवासी पंचक और दूसरा नैमित्तिक पंचक। दोनों ही पंचक में विशेष तिथियां शामिल होती हैं, जिनमें अशुभ ग्रहों का प्रभाव होता है।
उपवासी पंचक: इस पंचक में, पाँच दिनों के अवधि के दौरान व्रतारंभ किया जाता है। यह पंचक विशेषतः उपासकों और धार्मिक लोगों द्वारा मान्यता प्राप्त होता है। इस समयावधि में धार्मिक आध्यात्मिक गतिविधियां आयोजित की जाती हैं, जैसे मंदिरों में पूजा-अर्चना, सत्संग, भजन-कीर्तन आदि। धार्मिक ग्रंथों में इस समय के उपवास को महत्वपूर्ण माना जाता है और इस समय ध्यान और धार्मिकता में समय बिताने को सलाह दी जाती है।
नैमित्तिक पंचक: इस पंचक में, लोग विशेष आयोजनों और शुभ कार्यों की विधि का पालन करते हैं। कुछ लोग इस समय में शुभ कार्य नहीं करते हैं और अपनी रखवाली में रहते हैं ताकि अशुभ ग्रहों के प्रभाव को न्यूट्रलाइज किया जा सके। इस समयावधि में किसी नए कार्य या व्यवसायिक प्राप्ति का भी सावधानीपूर्वक मुल्यांकन किया जाता है।
पंचक के महत्व: पंचक के दौरान विशेष अशुभ ग्रहों के प्रभाव को माना जाता है, जो धार्मिक और शुभ कार्यों को अधिक प्रभावशाली बना सकते हैं। लोग इस समयावधि में अपने जीवन में विशेष सावधानी बरतते हैं और धार्मिकता में समय बिताने का प्रयास करते हैं। इससे समाज में धार्मिक और आध्यात्मिक सन्देश को बढ़ावा मिलता है और लोगों के जीवन में शांति और समृद्धि का आभास होता है।
पंचक वृतांत एवं पूजा विधियों का पालन कर लोग धार्मिक अनुष्ठानों को समर्थन देते हैं और अपने जीवन में आनंद, शांति, और समृद्धि की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। पंचक के दौरान विशेष वृतांत और धार्मिक कार्यक्रम आयोजित करके लोग एक-दूसरे के साथ साझा करते हैं और समूह में समरसता बढ़ाते हैं।
धार्मिकता और आध्यात्मिकता के महत्वपूर्ण मूल्यों के साथ पंचक का आयोजन हमारे समाज में एक आधारभूत रूप से स्थायी तरीके से अपनाया जा रहा है। यह समयावधि लोगों को धार्मिकता के माध्यम से अध्यात्मिक उन्नति के लिए प्रेरित करता है और एक सभ्य समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
ध्यान दें: व्रतारंभ के दौरान और पंचक के अवधि में ध्यान रखें कि आपके कार्यक्रम और अभियान्त्रिकता को अशुभ ग्रहों के प्रभाव से बचाएं। विशेष रूप से नए कार्यों की शुरुआत के लिए इस समय को नहीं चुनना चाहिए और ध्यान से विचार करने के बाद ही किसी नए कार्य में संलग्न होना चाहिए।
अपने जीवन में धार्मिकता और आध्यात्मिकता को अपनाने के लिए इस समयावधि का उपयोग करें और विशेष रूप से भगवान की पूजा-अर्चना, ध्यान, और सच्ची भक्ति में समय बिताएं। इससे आपको शांति, समृद्धि, और सफलता मिलेगी और आपके जीवन में सुख-शांति की अनुभूति होगी।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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