Published By:धर्म पुराण डेस्क

मौसम बदले तो आयुर्वेद दे राहत

वातावरण में होने वाले बदलाव शरीर और स्वास्थ्य पर असर डालते ही हैं। यही कारण है कि प्राचीन उपचार विधाओं में इन्हें लेकर विशेष औषधियां मौजूद हैं। भारतीय आयुर्वेदिक पद्धति इसका उदाहरण है। आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों के साथ ही आहार-विहार पर भी विशेष जोर देता है। 

जानिए किस तरह आयुर्वेद की मदद से आप कर सकते हैं मौसमी बदलाव में भी अपना बचाव और रह सकते हैं स्वस्थ।

कभी तेज धूप और फिर पल भर में काले घने बादलों का आकर बरस जाता, उमस के बाद रात और सुबह का अचानक ठंडा हो जाना। यही वो स्थितियां हैं जो आजकल हमारे आस-पास बनी हुई है। 

मौसम का इस तरह अचानक बदलना शरीर के लिए कई चुनौतियां पैदा कर डालता है। बदलते तापमान के साथ अचानक सामंजस्य बैठा पाना शरीर के लिए थोड़ा मुश्किल हो जाता है। 

खासकर यदि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है, व्यक्ति हाल ही में किसी बीमारी से गुजरा है या किसी विशेष शारीरिक स्थिति का शिकार है, उम्रदराज है, छोटा बच्चा है या गर्भवती महिला है तो मौसम का अचानक बदलना उसके लिए और भी मुश्किलें खड़ी कर देता है।

सामान्य उपाय, गहरा असर-

आयुर्वेदिक औषधियों के अलावा इस पद्धति में घर में मौजूद सामान्य प्राकृतिक साधनों से भी औषधियों का काम लेने का विकल्प होता है। लौंग और काली मिर्च से लेकर हल्दी, इलायची, अदरक, सौंफ, तुलसी आदि जैसी कई चीजें हैं जो आमतौर पर हमारे घरों में मौजूद होती हैं और इनसे औषधियों का लाभ लिया जा सकता है। 

बदलते मौसम में होने वाले संक्रमणों से लेकर पहले से मौजूद कुछ समस्याओं के निदान तक में यह तमाम चीजें काफी असरदार साबित होती हैं। यहां भी मात्रा, शारीरिक स्थिति और समय का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। इन दवाओं का बिना मार्गदर्शन सेवन करना नुकसानदायक हो सकता है। इनके भी साइड इफेक्ट हो सकते हैं। 

पाचन तंत्र न हो कमजोर-

यह एक बहुत महत्वपूर्ण बात है जिस पर गौर करना जरूरी है। यदि आपका पाचन तंत्र मजबूत होगा तो स्वस्थ रहने में काफी मदद मिल पाएगी। 

गौर कीजिए कि जब भी कभी सर्दी-खांसी की शुरुआत होती है हमें भूख में कमी होने, कब्ज होने, थकान लगने आदि जैसे लक्षण सामने आने लगते हैं। यदि इस समय थोड़ा-सा ध्यान संतुलित खानपान पर दिया जाए तो कई तकलीफों से बचा जा सकता है। इसके अलावा खासकर इस मौसम में घर से बाहर के भोजन या नाश्ते को लेकर भी सतर्क रहें। यह चीजें भी पाचन तंत्र को मुश्किल में डाल सकती हैं।

दूध, शहद दोनों गुणकारी-

आयुर्वेद में तो स्वास्थ्य के लिहाज से घी को पीने का प्रावधान है। विशेषकर गाय का बना घी। इसके साथ ही शहद का सेवन भी काफी लाभदायक बताया गया है। सुबह के समय बच्चों को भी शहद के सेवन के लिए सलाह दी जाती है। लेकिन इसके लिए भी सही मात्रा और अन्य बातों का ध्यान रखना जरूरी है। यदि आप चाहें तो खाने के साथ भी सीमित मात्रा में घी का सेवन कर सकते हैं.

डॉ. राकेश मिश्रा 


 

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