अक्कादी साम्राज्य की राजधानी बेबिलोन थी, उसके प्रसिद्ध सम्राट् हम्मुराबी (हाबुचन्द्र) ने अत्यंत प्राचीन कानून और दंड संहिता बनाई। बेबिलोनियन सभ्यता की प्रमुख विशेषता हम्मूराबी की (2123-2080 ईपू) दंड संहिता है।
बेबिलोनियन सभ्यता का प्रमुख ग्रंथ्र गिल्गामेश महाकाव्य था। गिल्गामेश (2700 ईपू) प्राचीन उरुक (वर्तमान इराक में) जन्म एक युवराज था।
इस सभ्यता के लोग हिंदुओं के समान ही पूजा प्रात: और सायं अर्घ्य, तेल, धूप, अभ्यंग, दीप, नैवेद्य आदि लगाकर करते थे। ईसा पूर्व 18वीं शताब्दी के वहां के कसाइट राजाओं के नामों में वैदिक देवताओं के सूर्य, अग्नि, मरूत आदि नाम मिलते हैं।
वहां के हिट्टाइट और मिनानी राजाओं के बीच हुई संधियों में गवाह के रूप में इंद्र, वरुण, मित्र, नासत्य के नाम मिलते हैं। इससे स्पष्ट होता है कि बेबिलोनिया के लोग भी हिन्दू (सनातन)धर्म का ही पालन करते थे।
अल अपरना में मिले शिलालेखों में सीरिया, फिलिस्तीन के राजाओं के नाम भारतीय राजाओं के समान है। असीरिया शब्द असुर का बिगड़ा रूप है।
बेबीलोन की प्राचीन गुफाओं में पुरातात्विक खोज में जो भित्ति चित्र मिले हैं, उनमें भगवान शिव के भक्त, वेदों के उत्सुक गायक तथा हिन्दू (सनातन)देवी-देवताओं की उपासना करते हुए उत्कीर्ण किया गया है।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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