 Published By:धर्म पुराण डेस्क
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मौसंबी भी एक ऐसा फल है जो किसी भी रूप में लिया जाए फायदा देता है चाहे जूस के रूप में लें या सीधे ही खाले| मौसंबी बहुत फायदेमंद है।
तो जानते हैं मौसंबी के फायदों के बारे में और इसे किस तरह प्रयोग किया जाए।
मौसंबी एक निरापद आहार है। सभी अवस्थाओं और सभी प्रकृति वालों को इसका रस लाभ देता है। भूखे व्यक्ति के शरीर में यह शक्ति प्रदान करता है और भरे पेट इसका रस भोजन का पाचन तीव्रता से करता है। इसे पौष्टिक फल माना गया है। इसको नियमित खाने से शरीर को बड़ा लाभ होता है।
शक्तिवर्धक-
मौसंबी अथवा उसका रस, मस्तिष्क और यकृत को शक्ति तथा स्फूर्ति देता है। इसका रस खाये हुए भोजन को शरीरांश बनाने में सहायता करता है। जटिल रोगों तथा ज्वर में इसका रस सेवन करने से रोगी दुर्बल नहीं होता।
रोगी के शरीर से रोगों का विषैला पदार्थ निकल जाता है तथा स्वस्थ होने में सहायता मिलती है। मौसंबी का रस कई दिन तक पीते रहने से दस्त प्राकृतिक रूप से आने लगता है।
कब्ज, सिर-दर्द, काम करने में मन न लगना, थोड़ा काम से ही थक जाना, नींद न आना आदि कष्ट सहज ही दूर हो जाते है। नवीन स्फूर्ति और शक्ति आ जाती है। शिशुओं को मौसंबी का रस दूध में मिलाकर पिलाना चाहिए।
रक्तशोधक-
मौसंबी का रस रक्तशोधक है, अतः चर्म रोगों में लाभकारी है।
गर्भावस्था-
मौसंबी में कैल्शियम अधिक मात्रा में होता है। गर्भवती स्त्रियों व गर्भस्थ बच्चे को शक्ति प्रदान करने इसके पौष्टिक रस का सेवन करना चाहिए।
हृदय रोग-
मौसंबी के निरंतर प्रयोग से रक्त वाहिनियां कोमल व लचीली होती हैं। उनमें एकत्र कोलेस्ट्रॉल शरीर से निकल जाता है। मौसंबी का रस शरीर में ताजा रक्त, विटामिन और आवश्यक खनिज लवण पहुंचा देता है। हृदय और रक्त संस्थान, रक्त वाहिनियों और कैपिलरीज को शक्तिशाली बनाने में मौसंबी व उसका रस सर्वोत्तम है।
टाइफाइड-
इसे 'आंत्र ज्वर' भी कहते हैं। मौसंबी प्यास व ज्वर की तेजी कम करने में सहयोग देती है।
जुकाम-
जिन्हें बार-बार सर्दी जुकाम हो जाता है, वो थोड़े समय तक मौसंबी का रस पीकर, इससे स्थायी रूप से बच सकते हैं। रस को हल्का गर्म कर पांच बूंद अदरक का रस मिलाकर पीना गुणकारी है।
दमा-खांसी-
मौसंबी के रस का आधा भाग गर्म पानी, जीरा और सौंठ मिलाकर पीने से तुरंत लाभ होता है।
 
 
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