 Published By:धर्म पुराण डेस्क
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दो मुखी रुद्राक्ष- जिस रुद्राक्ष में प्राकृतिक रूप से दो धारियां होती हैं, उसे दो मुखी रुद्राक्ष कहा जाता है। इस रुद्राक्ष को भगवान शंकर और माता पार्वती का स्वरूप माना जाता है। इसे अर्द्धनारीश्वर रुद्राक्ष भी कहते हैं।
इस रुद्राक्ष के धारणकर्ता को भगवान शिव और माता पार्वती की संयुक्त असीम कृपा प्राप्त होती है। इसको धारण करने से व्यक्ति के त्रिविध पापों का नाश होता है। उसका जीवन सदैव सुखी रहता है। उसे सम्पूर्ण ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
जिन लोगों को संतान प्राप्ति में बाधा आ रही हो उनको यह रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिये धारणकर्ता की बुद्धि इसके प्रभाव से सदैव संतुलित रहती है। वह सही समय पर तुरंत व सही निर्णय लेता है और अपने प्रत्येक कार्य को योजनाबद्ध तरीके से करने की क्षमता प्राप्त करता है। इसलिये जो व्यक्ति उच्च पद पर हो अथवा किसी व्यावसायिक साझेदारी में हो तो उसके लिये दो मुखी रुद्राक्ष अत्यन्त आवश्यक एवं उपयोगी होता है।
दो मुखी रुद्राक्ष के प्रभाव से स्मरण शक्ति और मानसिक बल में वृद्धि होती है। इस रुद्राक्ष के प्रभाव से गृह क्लेश समाप्त होते है अतः जिसके गृह सुख में कमी हो, उसे यह रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिये। इसके अतिरिक्त धारणकर्ता के सभी मनोरथ पूर्ण होने के साथ उसके कार्य में भी सफलता प्राप्त होती है।
दो मुखी रुद्राक्ष मोक्ष तथा वैभव दाता है। यह पेट के सभी विकार, कब्ज, गैस, महिलाओं के वक्षस्थल के साथ अन्य रोग तथा शोधन प्रणाली को ठीक करने में पूर्ण सहायक सिद्ध होता है। अनजाने में किये गये पापों से मुक्ति मिलने के साथ पति-पत्नी के मध्य प्रेम व विश्वास, समय से संतान प्राप्ति, पिता-पुत्र के संबंधों में विश्वास एवं प्रगाढ़ता की वृद्धि होती है।
जिन लोगों की मानसिक शक्ति कम हो अथवा उनके मन में अस्थिरता रहती हो अथवा जन्मपत्रिका में चन्द्र ग्रह के कारण कोई समस्या हो अथवा चन्द्र की महादशा चल रही हो तो वह व्यक्ति अवश्य ही दो मुखी रुद्राक्ष धारण करे। जिस महिला को गृह क्लेश रहता हो उसे दो मुखी रुद्राक्ष का पूजन करना चाहिये।
दो मुखी रुद्राक्ष का धारण मंत्र ॐ नमः है।
 
 
                                मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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