गर्मी के मौसम में लोग दही का अधिक सेवन करते हैं। लेकिन, दही के साथ सबसे बड़ी दिक्कत यह होती है कि या तो यह पानी छोड़ देता है या खट्टा हो जाता है। ऐसा होने का सबसे आम कारण यह है कि या तो दूध को ठीक से उबाला नहीं गया है या ठंडा होने के बाद ठीक से स्टोर नहीं किया गया है।
• दही बेशक अमृत के समान है, लेकिन इसके रखरखाव तथा सेवन में कुछ सावधानियां अवश्य रखनी चाहिए, जिससे यह लाभ की जगह हानि न कर पाए।
• दही वैसे बेहद उपयोगी एवं स्वास्थ्यवर्धक है, परंतु शरद और बसंत में रात को दही नहीं खाना चाहिए। यदि खानी है तो इसमें शक्कर, मूंग दाल, आंवला डालकर या जीरे का तड़का लगाकर खाएं। दमा, श्वास, खांसी, कफ, शोध, रक्त-पित्त और बुखार में दही का सेवन कदापि न करें।
• दही की तासीर ठंडी है, इसलिए अधिक मात्रा में इसके सेवन से सर्दी-जुकाम की आशंका हो सकती है। साथ-साथ इस बात का भी ध्यान रखना आवश्यक है कि दही का सेवन दिन में किया जाए, रात को नहीं।
• दही को तांबे, पीतल, कांसे और एल्युमीनियम के बर्तनों में नहीं रखना चाहिए और न ही इन धातुओं के बर्तनों में दही को खाना ही चाहिए, क्योंकि इसमें दही जहरीला हो जाता है। दही का उपयोग हमेशा मिट्टी, कांच अथवा स्टील के बर्तनों में ही करना चाहिए।
• दमा और फाइलेरिया के रोगियों को छोड़कर स्त्री-पुरुष, बच्चे-बूढ़े सभी दही का सेवन कर सकते हैं। दही तभी पर्याप्त लाभदायक होता है, जब उसके सभी पोषक तत्त्व उसमें मौजूद हों। हमेशा ताजे दही का उपयोग करना चाहिए, क्योंकि उसी में सभी पोषक तत्व रहते हैं। बहुत देर तक फ्रिज में रखे दही तथा खट्टे दही में पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं।
दही पानी इसलिए छोड़ता है क्योंकि वह ठीक से जम नहीं पाया है। इसके अलावा खट्टा दही खाने से शरीर में गैस की समस्या हो सकती है। इसके अलावा यह पित्त के रोग को भी बढ़ाता है। इसलिए अगर पहले से ही एसिडिटी और अल्सर की समस्या है तो खट्टी दही का सेवन नहीं करना चाहिए। दही को खट्टा होने से बचाने के लिए दही को स्टोर करने का सही तरीका जानना जरूरी है।
दही फ्रिज में रखी अन्य वस्तुओं की गंध को सोख लेता है।
गर्मियों में दही को स्टोर करने के लिए फ्रिज सबसे अच्छी जगह है, लेकिन कई बार दही फ्रिज में रखने के बाद भी खट्टा हो जाता है. क्योंकि दही दूसरी चीजों की महक को बहुत जल्दी सोख लेता है। इसलिए दही को अच्छी तरह से ढककर फ्रिज में रख दें। साथ ही कोशिश करें कि इसे फ्रिज के पिछले हिस्से में रखें ताकि यह काफी ठंडा हो जाए।
अगर दूध का तापमान सही नहीं होगा तो दही पानी छोड़ देगा।
यह भी दही जमाने की उचित विधि अपनाने के बाद ही पानी छोड़ती है। अगर दूध को अच्छी तरह से उबालकर दही जमाने के लिये सही तापमान पर नहीं रखा जाएगा तो दही ठीक से फटेगा नहीं और पानी भी निकल जायेगा. दही को अच्छे से बनाने के लिए दूध को अच्छे से उबालना जरूरी है।
गाढ़े और अच्छे दही के लिए दूध न तो ज्यादा गर्म होना चाहिए और न ही ज्यादा ठंडा। कई बार दूध गर्म होने पर उसमें दही डालने के बाद भी वह ठीक से फटता नहीं है.
दही को मिट्टी के बर्तन में रखने से भी उसमें पानी की मात्रा कम हो सकती है। मिट्टी का घड़ा दही के अतिरिक्त पानी को सोख लेता है।
अगर आपको एसिडिटी, अल्सर और गैस्ट्रिक की समस्या है तो खट्टा दही न खाएं।
खट्टा दही खाने से शरीर में वात और पित्त के रोग बढ़ जाते हैं। जिन लोगों को पहले से ही एसिडिटी और अल्सर की समस्या है उन्हें खट्टी दही का सेवन नहीं करना चाहिए।
गठिया रोग से पीड़ित और खट्टा दही खाने से जोड़ों का दर्द बढ़ सकता है। इसके अलावा अगर आप अस्थमा या सांस लेने में तकलीफ से पीड़ित हैं तो खट्टा दही भी नुकसान पहुंचा सकता है।
गर्मियों में दही जमाने का सही समय और तरीका-
गर्मी के मौसम में दही जल्दी जम जाता है. अगर आप इसे शाम तक बाहर रखेंगे तो यह रात तक जम जाएगा। इसे तुरंत इस्तेमाल करने के बजाय फ्रिज में रख दें। सुबह बहुत गाढ़ा और मीठा दही खायेंगे.
गाढ़ा दही जमाने का सही तरीका-
दही को ठीक से जमाना बहुत जरूरी है ..
- दूध को धीमी आंच पर रखें और चमचे से चलाते हुए धीरे-धीरे चलाएं. उबाल आने के बाद भी दूध को धीमी आंच पर कुछ मिनट तक उबालें।
- अब दूध को छान लें और स्टील के बर्तन में निकाल लें. दूध को ठंडा होने से पहले चला लें। इससे क्रीम अच्छे से सेट हो जाएगी।
- तली में एक तौलिया बिछाकर उस पर दूध का बर्तन रखें। इससे दही गाढ़ा हो जाएगा।
- अब बाजार से खरीदा हुआ गाढ़ा दही दूध में डालें और अच्छे से ढककर रख दें.
- ढकने के बाद बर्तन को न हिलाएं और न ही छुएं। 5 से 6 घंटे बाद ही बर्तन को खोल कर चेक कर लीजिये.
- दही जम गया होगा. इसे 5 से 6 घंटे से ज्यादा रखने से भी बैक्टीरिया का असर बढ़ जाता है और दही में पानी की कमी हो जाती है।
मानव धर्म, सनातन धर्म का एक महत्वपूर्ण पहलू है..!!
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