 Published By:धर्म पुराण डेस्क
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आज का सुविधाभोगी, आधुनिक विचारों, मान्यताओं का पक्षधर व्यक्ति सिद्धि के लिए इस कदर अन्यान्य भाग रहा है कि उसको यह भी पता नहीं कि उसकी सफलता किस मार्ग पर है।
आम व्यक्ति या अत्यधिक व्यस्त व्यक्ति झूठे मक्कार ज्योतिषियों, तांत्रिकों, गुरूदेवों, आश्रमों के चक्कर में फंस जाता है, और अपना सर्वस्व सौंप देता है। फिर मिलती है तो मात्र असफलता, झूठी दिलासा और धोखा साधना शिविरों में देखने को मिलते है नाच-गाने।
कथित शराबी कबाबी गुरुदेव देते है प्रवचन पीड़ित व्यक्ति ज्यादा कुछ बोलना चाहता है या अपना दुखड़ा रोना चाहता है तो उन तांत्रिकों, गुरूदेवों के थैले उसके साथ मारपीट करते हैं और उसे डरा धमका कर शांत कर देते हैं।
आज साधना सिखाने वालों की कई दुकानें खुल चुकी है। जो व्यक्ति गायत्री मंत्र भी स्पष्ट उच्चारण नहीं कर सकता वह दीक्षा देने का कार्य करता है, चाहे वह स्वयं दीक्षित नहीं हो परंपरागत रूप से गद्दी पर बैठे नौसिखिये|
आज ऐसे धंधे अधिकांश करते हुए पाये जाते हैं। एक संस्कृति आज और बलवती हुई है वह है राजनीतिक संपर्क की। जो व्यक्ति किसी राजनेता, मंत्री आदि के साथ एक फोटो खिंचवा लेता है वह रातों-रात किसी भी प्रकार उस फोटो का फायदा उठाना चाहता है। उस फोटो को वह बड़ा करवाकर अपने ऑफिस में घर में टंगवा देता है ताकि आने वाले का उस पर रौब पड़े और फिर बात ही बात में वह यह भी बता देंगे कि उन नेताओं को उन्होंने ही आज इतना ऊपर उठाया है और बहुत जल्द मुख्यमंत्री या मंत्री भी बना देंगे।
कुछ ज्योतिषी पत्रिका मात्र इसलिए निकालते है क्योंकि कोई अखबार वाले उनकी बातों पर ध्यान नहीं देते। वे अपनी पत्रिका में हर बार दो चार मंत्रियों के साथ फोटो, स्वयं को मिले या खरीदे गये मेडल या उपाधियों के नाम, मौसम के हाल की तरह 25-50 भविष्यवाणियां जो कि सदैव सत्य होने की गारंटी होती हैं प्रकाशित कर देते हैं या अपना लंबा चौड़ा प्रोग्राम ही प्रकाशित कर देते है कि ज्योतिषी इतनी तारीख को इस शहर आदि-आदि स्थानों पर पाये जायेंगे।
लंबी-लंबी घोषणाएँ करते है जो कि वे कभी पूरी नहीं करते। कई ज्योतिषी तो अपने आप को कोई न कोई अवतार ही घोषित कर देते हैं ताकि आम आदमी पर कुछ ज्यादा ही रौब पड़े।
आज जरूरत है ऐसे बेईमान ज्योतिषियों को, तांत्रिकों को, कथित अवतारों को, कथित गुरूदेवों को, दीक्षा का सरेआम व्यापार करने वाले ऐसे धोखेबाज व्यक्तियों को बेनकाब करने की| जो मंत्र-तंत्र-यंत्र के नाम पर समाज में जहर फैला रहे हैं, आम नागरिक को भ्रमित कर रहे हैं, अन्धविश्वासी बना रहे हैं।
 
 
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