Published By:धर्म पुराण डेस्क

भीली उत्पत्ति कथाएँ एवं विश्वास: भीली गोत्र एवं जातियां…..

भील-भिलाला लोग अपने गोत्र को जात कहते हैं। यह जात ही जाति का पर्याय है। 

भील-भिलाला, बारेला और पटलिया में निम्नानुसार गोत्र के लोग हैं- चोंगड़ (चौहान), डावर, मिनावा, अलावा, गनवा (गणावा), गुथर्या, बागऱ्या, जमरा, मोरी, रावत, सोळ्या (सोलंकी), राठी, दोहदिया, भगोरा, खराड़ी, सिंघाड़ (सिंगार), भूर्या, मछाऱ्या, मेहड़ा, बामण्या, डावर्या, अजनार्या, देवका, हिट्ला, मकवाना, पिलकाल्या, वास्कळा, बुंदडूया|

पलास्या, अमल्यार, भयडूया, पचावा, बिलवाळ, कछादा, मखर्या, वसून्या, भाबर, मोहन्या, डामर, कळस्या, डोडवा, काले, धावडूया, किराडूया, परूड्या, सूल्या, गुथर्या, मावड़ा, गावर, सपन्या, कोचरा, बिलावा, परमानिया, मुसका, सापल्या, मसाण्या, अवास्या, सनगोड, सेंगर, डोर्या, निंगवाळ, मुझाळदा, तड़वला, गाड्रिया (गेहलोत), चमक, धार्वा, परसाइ, परमार, उचावऱ्या, नलवाइया, देसाई, वागोले, जामोद|

अहरवाळ, भावेल, झनियाँ, बाऱ्या, गोहिया, वागुल, धुरा, खपेर, हिवड़, राठोड़, कोचरा, पालिया, चोपड़ा, कतिजा, गवळी, कनास्या (कनेस), सस्त्या, भँवर, बड़ा बामण्या (पटिलिया जाति में), बेहरा बामण्या (पटिलिया जाति में), धुरिया बामण्या (पटिलिया जाति में), नाना बामण्या (पटिलिया जाति में), हिंगोऱ्या (पटिलिया जाति में), गमाऱ्या (पटिलिया जाति में), धनिया (पटिलिया जाति में), धाकिया (पटिलिया जाति में), गोहिल (पटिलिया जाति में), भवट्या (पटिलिया जाति में), मेहड़ा (पटिलिया जाति में), इसके अतिरिक्त और भी गोत्र (जाति) के हैं। 

भील लोग विवाह अपने गोत्र जिसे जाति या जात भी कहते हैं के समान कुल गोत्र नहीं करते हैं। अपने के गोत्र (जाति) में भी विवाह वर्जित होता है। जैसे- किसी व्यक्ति कागोत्र-रावत है और उसके मामा का गोत्र मुझाल्दा है, तो उसके लड़के का विवाह रावत और मुझाल्दा की लड़की के साथ नहीं होता है।


 

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