नाम के अनुसार 'मोट्ली' जाति वाले अपने को बड़ी जाति के मानते हैं और नानकि जाति वालों को छोटा मानते हैं। कहीं कहीं छोटी जाति वालों को 'धाणकला' भील कहते हैं।
दोनों जातियों में 'खान-पान' और बेटी व्यवहार भी नहीं होता है। अगर कोई भी 'धाणकला' भील मोट्ली जाति के भील की लड़की को उसकी रजामंदी से अपनी पत्नी बना लेता है, तो उसकी जाति वाले उसको मान्यता दे देते हैं, किन्तु अगर कोई मोट्ली जाति का भील धाणकला भील की लड़की को ले आता है, तो उसकी जाति के लोग उसे 'विटळ गया' मानते हैं। उसको अपनी जाति से बाहर कर देते हैं।
ऐसे प्रकरण में जाति प्रथानुसार उसकी 'सारनी' चोखा करने की जो पारंपरिक प्रथा चली आ रही है, उसे करते हैं।
स्रोत:- गोविन्द सिंह बारिया, उदयगढ़ अलीराजपुर, कालू जालम भील, देवधा, बाग, धार
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